छह व्यस्त दिन गुजारने के बाद
आ ही गया इतवार
सोचा, खूब आराम करूंगा,
पूरे दिन सो जाऊंगा
करूंगा, खुद को रेजुविनेट !!
आ ही गया इतवार
सोचा, खूब आराम करूंगा,
पूरे दिन सो जाऊंगा
करूंगा, खुद को रेजुविनेट !!
पर नींद या ख्वाब
कभी आते हैं बुलाने पर?
भटक रहा हूँ
जबरदस्ती के बंद पलकों के साथ
ढूंढ रहा हूँ स्वयं को
उपस्थिति व अनुपस्थिति के बीच
टंगी दीवाल घड़ी के पेंडुलम की तरह
एक आवर्त में
खोजता हुआ सारांश
न जाने किस विस्तार का
कभी आते हैं बुलाने पर?
भटक रहा हूँ
जबरदस्ती के बंद पलकों के साथ
ढूंढ रहा हूँ स्वयं को
उपस्थिति व अनुपस्थिति के बीच
टंगी दीवाल घड़ी के पेंडुलम की तरह
एक आवर्त में
खोजता हुआ सारांश
न जाने किस विस्तार का
सिलसिला फिल्म के अमिताभ की तरह
तुम होते तो ऐसा होता
तुम होते तो वैसा होता
मेरी कुंद पड़ी सोच भी
बिस्तर पर मुर्दे की तरह लेटे
मेरी ही शिथिल पड़ी दोनों बाँहों के बीच
कसमसाती हुई कर रही मुलाक़ात
आखिर इतबार की सुबह जो है ......
तुम होते तो ऐसा होता
तुम होते तो वैसा होता
मेरी कुंद पड़ी सोच भी
बिस्तर पर मुर्दे की तरह लेटे
मेरी ही शिथिल पड़ी दोनों बाँहों के बीच
कसमसाती हुई कर रही मुलाक़ात
आखिर इतबार की सुबह जो है ......
छोड़ो !
बहुत हुआ खुद को ढूँढना उंढना
ऐंवें, सुकून की चाहत
मसनद पर मुँह छिपा कर
शुतुरमुर्ग जैसी फीलिंग की साथ
बहुत हुआ खुद को ढूँढना उंढना
ऐंवें, सुकून की चाहत
मसनद पर मुँह छिपा कर
शुतुरमुर्ग जैसी फीलिंग की साथ
चलो !
व्यस्त होना ही बेहतर
हर दिन के दिनचर्या मे ही
मिलेगा सुकून का विस्तृत आकाश
अपना आकाश !
व्यस्त होना ही बेहतर
हर दिन के दिनचर्या मे ही
मिलेगा सुकून का विस्तृत आकाश
अपना आकाश !
~मुकेश~
11 comments:
जितना व्यस्त रहें उतना सुकून से गुज़रता है दिन...बस अपनी मर्जी के काम किये जाएँ..
:-)
अनु
व्यस्तता भी एक तरह से सुकून ही देती है, दिन कैसे पलक झपकते बीत जाता है पता ही नहीं चलता जरा सा आराम मिला नहीं की फिक्र, सोच आकर खड़ी हो जाती हैं ... व्यस्त रहो , मस्त रहो
दिमाग कहाँ सोता है या सोने देता है ... जितना व्यस्त रहे इंसान उतना ही अच्छा है ..
सपनों की अनूठी दुनिया
आपकी लिखी रचना बुधवार 30 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर.....
खाली दिमाग का शैतान का .. व्यस्त रहने का भी एक अलग ही रोमांच है ... रविवार को तो हमारा दिन कब बीत गया पता ही नहीं चलता ... घर परिवार में काम ही काम ..
बहुत ही सुंदर , मुकेश भाई धन्यवाद !
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सटीक ...प्रभावी, व्यस्त रहना ही बेहतर है....
भावों से नाजुक शब्द......बेजोड़ भावाभियक्ति....
बहुत खूब
व्यस्त रहना ही बेहतर
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