मेरी जिंदगी
बिना हल्दी व कम दाल से बनी
मरघट्टी खिचड़ी सी
आखिर अन्न जरूरी है न !
उदर के लिए !
साथ ही,
छौंक के लिए चढ़े करछुल में
कड़कते तेल में
फड़फड़ाते जीरे के कुछ
बेशकीमती दानें
मेरी जिंदगी के कुछ
अमूल्य सपने जैसे !!
आखिर थोड़ा स्वाद भी
जरूरी है !!
__________________
मेरी जिंदगी ! मेरी
अपनी !!
15 comments:
जिंदगी का जबर्दस्त तड़का
बहुत खूब!
सरल सहज से भाव ,पर अच्छे लगे :)
jivan main chhaunk ka tadka lagtey rehna chahiye bahut sunder rachna
jivan main chhaunk ka tadka lagtey rehna chahiye ....bhut sunder
jivan main chhaunk ka tadka lagtey rehna chahiye ....bhut sunder
छोटी चित्रों को बाखूबी निभाया सुन्दर भाव !!
आकाश के तरह अनंत सागर आपकी जिंदगी......खूबसूरत !!
अच्छी रचना सरल शब्दों में!
ये तड़का यूं ही कायम रहे
विचित्र यह जिंदगी
कभी फीका कभी रंग विरंगी !!
New post ऐ जिंदगी !
बिलकुल ज़रूरी है..... जीवन से जोड़ती रचना
स्वाद ज़रूरी उसके लिए तड़का भी....बस किसी को झींक या खाँसी न आए....शब्द जितने सरल और शांत भाव उतना ही उफ़ान लिए हुए...
sahaz-saral shabd,umda bhav,tadka lazbab...
मरघट्टी खिचडी ..............चलो जीरे के तडके ने बचा लिया।
☆★☆★☆
छौंक के लिए चढ़े करछुल में
कड़कते तेल में
फड़फड़ाते जीरे के कुछ
बेशकीमती दाने
मेरी जिंदगी के कुछ अमूल्य सपने जैसे !!
आखिर थोड़ा स्वाद भी जरूरी है !!
वाह ! वाऽह…!
:)
आदरणीय मुकेश कुमार सिन्हा जी
मस्त कविता लिखी...
आना पड़ेगा बार-बार आपके यहां
:)
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
अच्छी रचना ..जिंदगी का जबर्दस्त तड़का
Post a Comment