जिंदगी की राहें

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Wednesday, July 15, 2020

न्यूज एंकर : कोरोना काल



लॉकडाउन की लीला ऐसी
कि इक्कीस उन्नीस करते हुए
चाहते न चाहते
कुछ घण्टों, मिनटों के दरमियान
पहुंच ही जाता है हाथ
पकड़ लेता हूँ रिमोट
टिपटिपाने लगती है अंगुलियां
कि शायद
कुछ अनचाहे न्यूज मे हो कुछ संवेदना
ऐसी भरी भारी उम्मीद को सुनने के लिए

हर बार उम्मीद का बस्ता उठाये
मन कहता है अबकी आएंगे कुछ अलग से व्यूज
जैसे आखिर हार गया कोरोना
या संवेदनाएं जीतने लगी
या फिर हम भारतीय
सोशल डिस्टेंसिंग की दूरी बनाकर भी
बरकरार रख पाए निकटता
धर्म से इतर रही कोशिश जान को बचाने की
आदि इत्यादि....

पर, इन दिनों
हर बार दरकती हैं उम्मीदें
चीखती हैं टीवी स्क्रीन
हर पल मृतकों की बढ़ती संख्या
विस्थापन का दंश झेलते भागते मजदूर
कोरोना के ऊपर भूख की छटपटाहट
पिज्जा के स्वाद की छटपटाहट
पूरे तब्लीगी समाज या कनिका जैसी की बेवकूफी
या संक्रमित लोगों की संख्या के
बढ़ते ग्राफ के रीयल न्यूज के साथ

दिखता है, चिल्लाता एंकर
जो संवेदनाओं के संवाहक के बदले
होता है चिन्दी उड़ाता हुआ शख़्सियत
हर चैनल पर अलग अलग
बेशक भेषभूषा हो अलग पर
पर हरकोई मर चुके दिल के साथ करते हैं
मौत के जलालत पर बात
किसका चैनल कितना तेज
कौन इस कठिन समय में भी
घर पर न रहकर स्टूडियो से
पहुंचते हैं ब्रेक करते हुए कारस्तानियों के साथ

मरती संवेदनाओं के संवाहक के रूप में
अब हर पल मार रहे ये न्यूज़ एंकर
सूचना के दौर मे
उम्मीदों से इतर डर और घृणा बांटते हुए
बता रहे हैं कि कौन है कितना तेज !

~मुकेश~


Wednesday, July 1, 2020

हार्मोनल चेंज ड्यू टू लव


सुनो न
हाँ संबोधित करने के लिए कहना ही होगा
सुनो न !
क्यों पर क्यों, आखिर सुनाऊँ क्या
जब, तुम्हें देखने भर से
बनने लगता है मुझमे, अत्यधिक मात्रा में
अड्रेनलिन व कार्टिसोल
जो धड़कनों के प्रवाह के आयाम को
पहुंचा देता है उच्चतम स्तर पर
बेशक जिससे शायद कहीं अंदर रहता है तनाव
पर वो होता है रुमानियत भरा
नहीं जानते कि वजह होती है डोपामाइन
जब उछाल मारती है ऊर्जा
उल्लास की फूटती है चिंगारी
जब तुम्हारे आगोश के आलिंगन का सुख
मिलता है तुमसे !
खोये रहते हैं तुममे
पलछिन, घंटे, दिन, रात बीतते रहे
मेरे खयालातों में बना रहा तुम्हारा बसेरा
क्योंकि तुम ही तो हो वो वजह
जिसने बढ़ाया सेरोटोनिन मुझमें
.... है न सही
उफ़्फ़ वो स्पर्श, वो आलिंगन
जिस कारण स्त्रावित होता रहा
ऑक्सीटोसिन हार्मोन
जिसने किया कुछ ऐसा कि
जिंदगी के गुलाबी बहाव में
महसूसता रहा तुम्हारे चुंबन की तीव्रता
मदहोशियाँ, खुशनुमा पल
सब, सब
हाँ दिया तो तुमने
तभी तो सामीप्य की गुलाबी उम्मीदें
प्रेम से जलाता रहा देह
टेस्टोरोन व एस्ट्रोजोन की बढ़ती मात्रा
था पास, बेहद पास आने का कारण
सुनो
मेरे अंदर का प्रेम रसायन
बहेगा हर समय
तुम्हारे वजूद के कारण
रहेंगी चाहतें प्रेम केमेस्ट्री की
सुनो
केमेस्ट्री फ़िज़िक्स से इतर
अपने जिंदगी के मैथेमेटिक्स में
मेरी उपस्थिति के शून्य को
आंकना, स्वयं को दस गुना बना कर
समझी न !!
~मुकेश~
(याद रहे आज हिन्दी ब्लॉग दिवस है )