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( दिल्ली एअरपोर्ट से ली गयी फोटो ) |
ऐसे लगता है जैसे
मेट्रो का दरवाजा
सामने खुलने वाला हो
या मेट्रो क्यों
नए वाले लाल डीटीसी का दरवाजा ही
दरवाजा के खुलते ही
सामने खड़े पथिक के सामने
हलकी से मनचली ए.सी. की हवा
खूब सारी गर्मी के बाद झुमा देती है जैसे !!
ये प्रेम भी न
अजीब है कुछ
ऐसे सोचो जैसे
खूब सारी प्यास लगी हो, और
मुंह में लिया हो
वो सबसे सस्ती वाली लोली पॉप
या फिर उल्टा ही सोच लो, क्या जाता है
पेट में गैस
और जस्ट पिया हो
'इनो' का एक ग्लास !!
ये प्रेम ही तो है
जब चौबीस घंटे का व्रत
और फिर एक ग्लास शरबत
खूब सारी चीनी वाली .........
शायद मिल जाता है प्रेम
प्रेम ही है न ....... !!
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प्रेम ही होगा ...........