जिंदगी की राहें

जिंदगी की राहें

Followers

Thursday, September 24, 2015

स्कूल जाते बच्चो की मम्मियां



सुनो,
अब बहुत हुआ भाषण
जल्दी से रखो तो फोन !
अरे, क्यों, ऐसा क्या पहाड़ टूटा?
धत्त, कुछ नहीं टुटा-फूटा
बस! बेबी के स्कूल बस का टाइम ! चलो बाय !

अजीब होती है मम्मियां
दाल में नमक डालना, या
चाय में डालना चीनी
भूल जाती है अक्सर !
पतियों के लिए बेशक न बने नाश्ता
नहीं रह पाती आदर्श पत्नी

पर, भूल नहीं सकती स्कूल बस का टाइम !!
तकरीबन हर दिन
रिसीव करने पहुँच जाती है
दस मिनट पहले !

एक्सक्यूज भी ऐसा
आ सकती है बाबु की बस, समय से पहले
कहीं बस से उतरने में लगी खरोंच तो ?
भूखा होगा वो ? बेशक टिफिन भरा लौटता हो !

इन्तजार करते बस स्टैंड पर
यही मम्मियां
कुछ पलों के लिए बन जाती है
आदर्श पत्नियाँ !
बताती है तब पड़ोसन को
आज फिर मेरे से गलती हुई
बेवजह नाराज हुई उन पर
या फिर, समय से नहीं उठी, तो नहीं दिया उन्हें टिफिन !!

पर, अजीब होती हैं औरतें
प्रयोरिटीज़ में हर लम्हे रहते हैं
बेबी या बाबू .......!
बच्चो की चिंता
चेहरे पे हर वक़्त शिकन!!

ड्राइवर साहब! ध्यान से, बाबू उतर रहा है !