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Monday, December 13, 2021
क्षणिका (खर्राटा)
Wednesday, October 6, 2021
लखनवी प्रेम
Tuesday, September 14, 2021
ब्लॉग पर करीबन नौ लाख (9,00,000) पेज-व्यू
हिंदी दिवस के अवसर पर ख़ुश होने के लिए एक बहाना भर ही तो है मेरा ब्लॉग !!!
ब्लॉग 'जिंदगी की राहें' मेरे लिए हर समय अदम्य जिजीविषा जैसी अनुभूति भरता है, इसकी बातें मेरे लिए हर समय एक नई शुरुआत सी लगती है। लगता है जैसे कहीं तो एक पहचान के काबिल हिस्सा है मेरे लिए भी । कुछ एडिटेड रिपोस्ट आंकड़ों और भावों को भी एडिट करते रहते हैं 😊
बात 2008 की थी, उन दिनों ऑरकुट का जमाना था, तभी एक नई बात पता चली थी कि "ब्लोगस्पॉट" गूगल द्वारा बनाया गया एक अलग इजाद है, जिसके माध्यम से आप अपनी बात रख सकते हैं और वो आपका अपना होगा | जैसे आज भी कोई नया एप देखते ही डाउनलोड कर लेता हूँ, तो कुछ वैसा ही ब्लॉग बनाना था। रश्मि दीदी ने बताया था ब्लॉग भी गूगल की एक फेसिलिटी है जो एक तरह से इंटरनेटीय डायरी सी है। पहली पाठक भी वही थी।
ये सच्चाई है कि ब्लॉग के वजह से ही हिंदी से करीबी बढ़ी, टूटे फूटे शब्दों में अपनी अभिव्यक्ति को आप सबके सामने रखने लगे। ये भी सच है पर कि इन दिनों ब्लॉग पर जाना कम हो गया है, फेसबुक पर संवाद ब्लॉग के तुलना में थोडा श्रेयस्कर है। पर, आज भी मेरा लिखा सब कुछ ब्लॉग पर देर सवेर पोस्ट होता है, बेशक हर रचनाकार के तरह उनको कागज़ पर प्रकाशित होना देखना चाहता हूँ ! पर मेरा ब्लॉग मेरे साहित्यिक जीवन की अमूल्य थाती है। slow and steady के सिद्धांत पर रहा हूँ ! ब्लॉग पर बेशक पोस्ट करने में अंतराल लम्बा रहता है लेकिन कोशिश रहती है अपडेट बराबर होती रहे ! स्मृतियों में कुछ चटख रंग ढूँढने की कोशिश करूँ तो उनमें कुछ रंगीन छींटे इस ब्लॉग ने दिये ! दो बार ब्लॉग के लिए ब्लोगोत्सव का अवार्ड पा चुका हूँ | 2019 में भी बेस्ट ब्लॉग का रनर अप रह चुका है मेरा ब्लॉग 😊
ये भी आज की सच्चाई है कि बहुत से नामी गिरामी साहित्यिक ब्लोग्स के बीच चुप्पी साधे मेरा ब्लॉग "जिंदगी की राहें" अपने पाठक संख्या में उतरोत्तर वृद्धि को दर्ज होते देख पा रहा है ! मेरा दूसरा ब्लॉग "गूँज...अभिव्यक्ति दिल की" है।
आंकड़े बताते हैं कि एक समय करीब 200 कमेंट्स तक पोस्ट पर आवागमन होता था जो किसी सामान्य हिंदी पत्रिका से कम नहीं था। पर आज भी ट्रैफिक की संख्या बताती है साइलेंट पाठको की संख्या में इजाफा हुआ है बेशक प्रतिक्रिया देने से हिचकिचाते हैं।
अपने 407 फोलोवर्स की संख्या के साथ हिंदी दिवस पर इस ब्लॉग ने कछुए के चाल के साथ अपने पाठक के संख्या (viewers) को करीबन नौ लाख छूते हुए देख रहा है जो बहुत से सामूहिक ब्लॉग् मैगजीन के तुलना में भी बहुत आगे है, पिछले वर्ष हिंदी दिवस के ही दिन ये संख्या साढ़े छह लाख से ज्यादा थी | तो इन वजहों से आज धीरे से कह पा रहा है कि गिलहरी के मानिंद हम भी साहित्यिक पुल को बनाने में लगे हैं।
इसी ब्लॉग से बने आकर्षण के वजह से आज मेरे हिस्से में भी एक कविता संग्रह "हमिंगबर्ड", एक लप्रेक संग्रह "लाल फ्रॉक वाली लड़की" और हिन्दयुग्म से छः साझा संग्रहों - कस्तूरी, पगडण्डीयाँ, गुलमोहर, तुहिन, गूँज और 100कदम का सह संपादन और कारवां का संपादन है | समर प्रकाशन से सौ कवियों के कविताओं का संग्रह शतरंग प्रकाशनाधीन है। करीबन 350 नए/पुराने साथियों को अपने साझा संग्रह के माध्यम से प्रकाशन का सुख दे पाए, जिसकी पहुँच भी ठीक ठाक रही | हिंदी से जुड़े अधिकतर पत्रिकाओं ने कभी न कभी कागज़ का कोई एक कोना मेरे नाम भी किया है | आल इंडिया रेडिओ/आकाशवाणी के माइक के सामने अपनी आवाज रख पाया हूँ | पिछले वर्ष ही Blogger of the Year 2019 में उप विजेता के लिए चुना गया हूँ । बेशक औसत हूँ, पर आंखो पर छमकते सपने हमारे भी हैं|
तो इन सबसे इतर बस ये भी जोर देकर कहना है - हाँ, इस ब्लॉगर के अन्दर छुटकू सा हिंदी वाला दिल धड़कता है, जो हिंदी की बेहतरी ही चाहता है
और हाँ, बताना भूल गया, गूँज के माध्यम से भी कुछ दूर तक हिंदी की गूँज पहुंचाने की कोशिश भी करते रहे हैं 😊
हिंदी दिवस की शुभकामनायें !
~मुकेश~।
Sunday, August 8, 2021
क्षणिकएं : कोरोना से जुड़ी हुई
🔴 मास्क
Monday, June 21, 2021
सुनहरी बूंद
Thursday, April 15, 2021
सफर