जिंदगी की राहें

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Sunday, April 12, 2020

चक्र संकल्पना


योग साधना की
चक्र संकल्पना पर
शरीर में अवस्थित
मेरु दंड के हाई वे पर
आधार से माथे तक
दौड़ते भागते
शिराओं
धमनियों
तंत्रिकाओं
में स्थित ऊर्जा बिन्दु
जैसे दूर तलक सफर के दौरान
फास्ट टैग लगी टैक्सी
बिना थमे
पार करती हुई
विभिन्न टोल टैक्स काउंटरों को
यथा,
मूलाधार
स्वाधिष्ठान
मणिपुर
अनाहत
विशुद्धि
आज्ञा व
सहस्त्रार
हर टोल के बाद
तय किए गए मार्ग की दूरी
होती है अलग
क्योंकि
मानव प्राण ही,
देह
ऊर्जा क्षेत्र और
चक्र तंत्र का आधार है
आखिर मानव चेतना के
सीमा को निर्धारित करता हुआ
अचेतन मन
थमता - भागता
बेध्यानी में भी
रखता है ध्यान में
शिव का
आदि का
अनंत का
जय भोले !

~मुकेश~