जिंदगी की राहें

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Tuesday, November 5, 2013

हाँ तुम !!


तुम हाँ तुम !! मेरे लिए हो रोटी-चावल-दाल जैसे ठोस जरूरी खाद्यान जीने के लिए जरूरी, अहम ! तुम मेरे लिए, मेरे अंदर पिघलता द्रव हो लाल बहते रक्त प्रवाह के तरह या फिर आंखो से बहते खारे पानी की जलधारा जो दर्द/खुशी हर समय बह निकलती है
तुम आक्सीजन हो साँसो में हर क्षण अंदर – बाहर जिया ही नहीं जा सकता तुम बिन ! तुम पदार्थ की हरेक अवस्था की तरह हो जरूरी ठोस-द्रव-गैस
तुम मेरी जरूरत मेरी शकसियत मेरी जिंदगी बस तुम ही तो हो !!
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मेरी धर्म पत्नी अंजू का आज जन्मदिन है, उसको शुभकामनायें !!