जिंदगी की राहें

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Friday, June 26, 2015

क्षणिकाएं




1. 
मेरी राख पर 
जब पनपेगा गुलाब
तब 'सिर्फ तुम' समझ लेना
प्रेम के फूल !!
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इन्तजार करूँगा सिंचित होने का :)


2. 
मेरी इच्छाएं रहती है हदों में, 
पर नींद में कर जाता हूँ 
सीमाओं का अतिक्रमण !!
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हदों के पार :)


3.
कल रात ख़्वाबों के बुने स्वेटर
पर भोरे भोरे एक फंदा उतरा
सारे सपने ही उधड़ते चले गये 
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चलो गर्मी आ गयी इस रात सपनों का पंखा चलेगा
 !!