जिंदगी की राहें

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Monday, June 29, 2020

कोरोना का दर्द


इन दिनों
भरा पूरा कमरा है मेरा
है जिसमें 8-10 लोग
चिन्हित करके बताउं तो...
हैं चार दीवारें
है ऊपर छत
तीन पर घूम रहे पंखे के साथ
है 'गो कोरोना' के रिवीयू के साथ
चिल्लाते एंकर वाला टीवी भी
साथ है बदलते ऑप्शन देने वाला रिमोट
हैं पढ़े जाने के उम्मीद के साथ रखी कुछ किताबें
कुछ रेसिपीज जो करने हैं ट्राय
निहारता मनीप्लांट का पौधा, जेड की हरी पत्तियां
बेस्ट फ्रेंड सा मोबाइल
और, और
मैं भी तो हूँ न
अकेलापन फील करता हुआ
आइसोलेट ।
क्वारेंनटाईन की इन खूबसूरत वजहों के साथ
कह पाता हूँ
कितने कमीने निठल्ले हैं
ये सफर करते राजमार्ग पर
मजदूर
हमें मरवा कर ही दम लेंगे ।
....है न!!!
~मुकेश~