विंड चाइम की घंटियों सी
किचन से आती
तुम्हारी खनकती आवाज का जादू
साथ ही, तुम्हारा बनाया
ज्यादा दूध और
कम चाय पत्ती वाली चाय का
बेवजह का शुरुर !!
सर चढ़ कर जब बोलता है !
तो बंद आँखों में तैरने लगते हैं
कविताओं के खिलखिलाते शव्द
बेशक लिख न पाऊं कविता !!
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कल काफी बनाना :-)
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दैनिक जागरण में प्रकाशित समीक्षा |