जिंदगी की राहें

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Thursday, February 3, 2011

आज की अदालत



हमारे देश के आज की अदालत!

जो बनी थी, दूर करने के लिये अदावत!!

पर क्यूं फरियादी यहाँ सहता है जलालत!!!

क्यूं खून चूसते है, वकील जो करते हैं वकालत!!!!



अदालत का शांत कमरा

सन्तरी की तेज आवाज

बा-अदब बा-मुलायजा होशियार!

जज साहब पधार रहे हैं...

एक कटघरे में खड़ा फरियादी

भींगी आँखों में जिसकी है उम्मीद....!!

जज साहब की कड़क आवाज

आर्डर आर्डर!!!

जिसका अर्थ तथाकथित वकील समझता है

सच का कर दो "मर्डर"!!

काले लबादे में खड़ा वकील ...

अदब से...."माई लोर्ड"!!

दुसरे कटघरे में खड़ा ये मुजरिम

है बहुत बड़ा "फ्रॉड"!!

पर वो दे चूका है "रिवार्ड" !!

अत्तः दे दो इसको 'वेल' का "अवार्ड"!!



हाय रे न्याय का मंदिर!

तेरी अजब कहानी है

अपनी भूख मिटाने वाला

पांच - दस रूपये का चोर

हो जाता है अन्दर!!

और करोडो रूपये डकारने वाले

नेता....कहलाते हैं सिकंदर!!!

क्योंकि जज साहब के नजर में

वो होते हैं देश के जरुरत

देश के पालनहार..!!!!



यहाँ तक की अपनी अस्मत लुटा चुकी एक अबला

करती है रुदन चीत्कार..!

माई लोर्ड ! करें मेरे साथ न्याय

सामने खड़े व्यक्ति ने किया है बलात्कार!!

दानव रूपी वकील की ठहरती हुई आवाज

जो भूल चूका भारतीय संस्कार!!!

ऐसे ऐसे प्रश्नों की करता है बौछार!!!!

लगता है भरी सभा में फिर से

कईयों ने किया उस अबला का फिर से बलात्कार...!!!!!



फिर भी जब भी दिखती है

ढकी आँखों वाली न्याय के देवी की मूर्ति!

हर न्याय पसंद इंसान की उम्मीद...

कभी तो ये पट्टी हटेगी!

कभी तो न्याय का तराजू का पलड़ा होगा बराबर

कभी तो अमीरी गरीबी के न्याय में

नहीं होगी पैसे की दीवार...

कभी तो सबको मिलेगा न्याय

नहीं होगा अन्याय....

कभी तो ऐसा होगा...

कभी तो.............!!