होली
का पर्व है अलबेला
है
मस्ती भरा!!
जब भी
आती है ये मनभावन होली
आता
है याद
गाँव
का कीचड़, साथ में गोबर, मिट्टी राख़ भी ...
जब भी
आती है ये स्वादिष्ट होली
आता
है मुंह में पानी
क्योंकि
बनते ये घर घर में
मालपूआ, दहीबड़ा, गुजिया और बहुत से पकवान
जब भी
आती है ये रोमांचक होली
मन के
आंखो से दिख जाती है
माँ
के उम्र की भौजियाँ
उनका
रंगा हुआ गाल और खुद का छोटा सा
रंगो
भरा हाथ
जब भी
आती है ये यादगार होली
स्मृतियों
मे होती है
मैया-बाबा
को मेरा चरण-स्पर्श
अबीर-गुलाल
के साथ
व
माथे पर, मैया का प्रेम से
अतिरेक चुम्मा
जब भी
आती है रंग बिरंगी होली
दिख
जाता है खुद का
झक्क
सफ़ेद कुर्ता व पैजामा
और
फिर उसके रंग जाने के कारण
मेरे
बचपन की खीज और गुस्सा
जब भी
आती है मस्त मस्त होली
तो
आती है आवाज़
ढ़ोल
मजीरे और भांग के साथ
मस्ती
में गाते होली के गीत
खुशियाँ
और संगीत
और अब
जब भी आती है ये नशीली होली
होता
है अपना
दो
कमरे का घर
सिर्फ
बीबी व बच्चो का साथ