जिंदगी की राहें

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Monday, November 11, 2019

ब्यूटी लाइज इन द आइज ऑफ द बीहोल्डर


हो बेहद खूबसूरत
इतना ही तो कहा था
कि बोल उठी
लजाती भोर सी
हल्की गुलाबी स्नेहिल प्रकाश के साथ
रंग बिखेरती हुई
- ब्यूटी लाइज इन द आइज ऑफ द बीहोल्डर
तत्क्षण
आंखों की पुतलियों संग
छमकते प्रदीप्त काली चकमक संगमरमर सी
कोर्निया और रेटिना के मध्य
लहरा उठा सारा संसार
कहाँ तक निहारूं ?
हो सकता है,
खूबसूरती की वजह थी
निकटता का अक्षुण्ण एहसास
या फिर
आखों के उस
गहरे लहराते संसार में
प्रेम का चप्पू थामे
डूबता उतराते महसूस रहा था
भीग चुके मन के अन्दर की नमी को
या पता नहीं
थी एक अलग तरह की उष्णता
उसके पास आने के वजह से
दूसरों के आवाजाही से इतर
प्रेम के रौशनदान सरीखे
उसके आँखों में ही
सिमटते हुए
चाह रहा था समझना कि
क्यों न एक सपनों का घोंसला हो
इन पलकों के भीतर
और बरौनियों का झीना पर्दा रहे हरसमय
ताकि प्रेम के आगोश का सुख
ताकते हुए ले सके चुपचाप
निहारने का सुख
निकटता के भाव को नवीनीकृत करने का
एक तर्कसंगत युक्ति भर ही तो है
.... है न !!!
~मुकेश~
साहित्य आज तक 2019 में कविता पढ़ते हुए