जिंदगी की राहें

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Saturday, December 16, 2017

स्मोकिंग इज इंज्यूरियस टू हेल्थ


जा रहा था अकेले
नहीं थी कोई फिक्र, नहीं हो रहा था लेट
था समय काटना, तो बस एक ढाबे पर
ली, सिगरेट की डब्बी
था उस पर बना भयानक सा चित्र
था लिखा भी
"स्मोकिंग इज इंज्यूरियस टू हेल्थ" !!

पढ़ा, देखा, व डरा भी
फिर भी स्टाइल से एक सिगरेट निकाली
माचिस की तीली से सुलगाई
गोल हुआ मुंह, बना धुएं का छल्ला
छल्ले में मौत का जिन्न !!
लेकिन साथ में था अंदर तक पहुँचता तेज लहर
ठीक वैसे जैसे महसूसा हो पहला स्पर्श !! इनक्रेडिबल !!

याद है न तुम्हे भी
हर कदम दर कदम खुद ही आगाह करते थे
पर, खुद ही उँगलियाँ थामे आगे भी बढ़ते थे
ये प्यार नही आसां कह कर
फिर, आसानी से छुड़ा ली थी तुमने ही अंगुलिया
जलते सिगरेट सा वजूद बना दिया न!!
अब जल रहा हूँ, जला रहा हूँ
कुछ राख कुछ अधजली सी सूरत
रह गए शेष
सुपुर्दे खाक की जिम्मेवारी तुम्हारी !!


~मुकेश~