जिंदगी की राहें

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Thursday, April 25, 2013

मैं शर्मिंदा हूँ !














हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
क्योंकि मैं पुरुष हूँ, क्योंकि मैं भारतीय हूँ
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
क्योंकि मैं निवासी हूँ उस शहर का
जहां महफूज नहीं है, "मासूम बच्ची" भी  
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
क्योंकि पहले मैं शान से अपने
बिहारी होने पर करता था गर्व
क्योंकि ये भूमि
सीता-बुद्ध-महावीर-गुरु गोविंद की भूमि थी
बेशक लचर शासन व्यवस्था/ साक्षरता ने
हमारे बिहार को बना दिया सबसे गरीब
पर हम बिहारी कभी दिल से गरीब नहीं रहे  
पर, आज ये भूमि
खूंखार बलात्कारियों
की जन्मभूमि कहला रही है
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !

(ये बात दिल को लगती है, और बुरी भी है... जो बिहार आज भी सबसे ज्यादा प्रशासनिक अधिकारी भारत को देता है, जो देवो की भूमि रही है, वहाँ से पैशाचिक बलात्कारी पकड़े जा रहे हैं।)