जिंदगी की राहें

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Wednesday, April 16, 2014

आवाज


कभी सुना
आवाजें मर गई ?
आवाज तो,
सन्नाटे को चीरती है
बहते मौन हवाओं के बीच
हमिंग बर्ड की तरह..
आवर्ती गति के साथ आगे बढ़ती है
सन्नन्नन्न की गूँजती आवाज़ !!
.
सुनो!
अगर मेरे जाने के बाद
कभी भी
सुनना चाहो मेरी आवाज
मेरी स्मृतियों की खनखनाहट से
तो, लगा देना अपनी कान
फिर उस गुड-गुड करते शोर को
ब्रेल लिपि सी कुछ लिपिबद्ध कर के
अनुभव करने की करना कोशिश
देखना..
मेरी आवाज और मैं
मिलेंगे, बहुत पास ही
बस महसूस करना
और उन पलों में एक बार फिर
जी लेना मुझे...
~मुकेश~



8 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत खूब… सुंदर रचना।

Daisy jaiswal said...

बहोत-सुंदर मन को छू जाती है बहोत सुंदर अभिव्यक्ति...

sandhya jain said...

वाह....बहुत ही खुबसूरत !!

Unknown said...

sahaz abhiwyakti....behud bhavpurn..

Aditya Tikku said...

utam-**

आशीष अवस्थी said...

बहुत बढ़िया व सुन्दर रचना , मुकेश भाई धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )

Preeti 'Agyaat' said...

One of ur best creation !

Anju (Anu) Chaudhary said...

आवाज़ों का अपना एक अलग ही शोर है