जिंदगी की राहें

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Saturday, March 8, 2014

बदलाव


जब भी मैं उन्मुक्त हो कर 
खुशी से झूमकर 
बिन सोचे समझे 
खिल खिला उठता 
तो वो कहती 
बड़े बुरे दिखते हो आप 
क्योंकि आगे वाले दो दाँतो के बीच का 
खुला पट
दिख ही जाता है, दूर से !!

जब भी दिल से 
अन्तर्मन से 
बहुत सोच समझ कर 
उकेरता कागज पर 
तो वो कहती 
बड़े बुरे दिखते हो आप 
क्योंकि 
कलम की सोच व 
सारी भाव भंगिमाएँ 
चेहरे को बुरी बनाती है 
दिख जाता है दूर से .... 

तभी तो 
मैंने 
बिना सोचे हँसना 
व 
सोच समझ कर लिखना 
छोड़ ही दिया है 
ठीक ही किया न !! 


17 comments:

Unknown said...

bilkul thik kiya,jo antar ko chhu jaye bat to manni hi chahiye....behud umda bhav ko ukere ho....bas wah...

प्रवीण पाण्डेय said...

हम जैसे हैं, वैसे ही व्यक्त रहें।

संजय भास्‍कर said...

पूर्णता का अनुभव कराती सुंदर कविता...

Unknown said...

badlaav bahut zaroori hota hai Mukesh ji ...n kuch badlaav behad ache hote hain zindagi ko saral karne ke liye :)

संध्या शर्मा said...

उन्मुक्त खिलखिलाहट और अंतर्मन से उपजे भाव अनुपम होते है... प्राकृतिक स्वरुप ही सबसे सुन्दर है...

Parul Chandra said...

वाह। कभी कभी किसी के कहे कुछ शब्द जीवन ही बदलकर रख देते हैं...बहुत ही सुंदर रचना। सादगी लिए...

Preeti 'Agyaat' said...

किसी के लिए कभी भी खुद को नहीं बदलना चाहिए. जो जैसा है, वैसे ही अच्छा लगता है. एक सुंदर कविता !

दिगम्बर नासवा said...

किसी के कहने से क्या होता है .. जो है वाही तो सच है ... अच्छे से व्यक्त किया है आपने ..

कौशल लाल said...

बहुत सुंदर ...

Unknown said...

bahut sunder

प्रतिभा सक्सेना said...

ठीक तो है - हम जैसे हैंं वैसे हैंं,तुम अपनी जानो !

निवेदिता श्रीवास्तव said...

कोई कुछ भी कहे हँसते रहो :)

Satish Saxena said...

मस्त रहें , खुश रहें !!

वाणी गीत said...

ठीक किया , बिना प्रयास स्वाभाविकता बनी रहती है !

Saras said...

तुम्हारे हँसने की चाहे जो वजह हो .....पर तुम हँसते हुए ही अच्छे लगते हो मुकेश

Saras said...

तुम्हारे हँसने की चाहे जो वजह हो .....पर तुम हँसते हुए ही अच्छे लगते हो मुकेश

Saras said...

तुम्हारे हँसने की चाहे जो वजह हो .....पर तुम हँसते हुए ही अच्छे लगते हो मुकेश