1.
चिट्ठियाँ,
जो कभी प्रेम की संवाहक थीं,
लौटती डाक में आकर
प्रेम की मज़ार बन गईं।
कभी कभी उन्हें पढ़ कर ही
चमकती आंखों का दीया दिखाता हूँ
चिट्ठियां लिखी जानी चाहिए।
2.
गलत पते पर भेजी गयी थी
जो तुम्हें चिट्ठियां
लौट कर बताती रहीं अहमियत
दो-दो बार
भेजने से ज़्यादा,
तब खुद से हो गया था प्यार।
जब वापस लौटी लिफाफे में से
खुद के लिखे गुलाबी शब्दों को
महसूस कर, खुद ही हुआ गुलाबी।
3.
ढलती उम्र में भी
सहेज रखा है मैंने —
तुम्हारी चिढ़, जलन,
वो चिट्ठियाँ और कलम भी।
सूखी गुलाबी पंखुडियां संग
स्नेह व अथाह प्यार भी
सब है धरोहर
कुछ पर्स में
कुछ बक्से में
कुछ दिल के गलियारे में !
4.
पुराने
प्रेम पत्रों को पढ़ते हुए
जी रहा था
हर्फ़-हर्फ़ प्रेम को
कुछ पन्ने गुलाबी हुए
कुछ ने रोष जताया
पर हर पन्ने ने व्हिस्पर कर
लगाई गुहार
- बचाये रखना प्रेम को ।
5.
मोबाइल चोरी हुई
नम्बर भी गया तुम्हारा
संदेशें जो कागज पर थे
बस वही रह गए
इतना बताने को कि
बस इतना बताने को था —
लिखा करो अब भी चिट्ठियाँ,
चाहे बेनाम, बेतिकाना ही सही।
...ठीक है न!
~मुकेश~