जिंदगी की राहें

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Monday, May 11, 2015

दो क्षणिका


खाली कनस्तर सी हो गयी
तुम्हारी स्मृतियाँ, झूठी - सच्ची
रखूं किसी अलमारी में, या
या, कबाड़ी वाले को ही न बेच दूं ??
__________________
ऐसे ही एक ख्याल :)

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मेरी हथेली में
है कटी-फटी रेखाएँ
जीवन, भाग्य और प्रेम की
पर है सिर्फ एक
खुशियों का आभासी द्वीप
अंगूठे के नीचे
ठीक बाएं कोने पर !!
--------------
उम्मीदें जवां हैं :)


7 comments:

Unknown said...

smiritiyan kya bechne ya sanjone ki mohtaj hoti hai?
sabse alag...pr sarthak abhiwyakti...

Anonymous said...

बहुत ही सुंदर और अच्‍छी क्षणिकाएं।

Rishabh Shukla said...

bahoot sundar.......aabhar

Unknown said...

हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई

Onkar said...

सुन्दर क्षणिकाएँ

कविता रावत said...

बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं।.

ज्योति-कलश said...

बहुत खूब !