खाली कनस्तर सी हो गयी
तुम्हारी स्मृतियाँ, झूठी - सच्ची
रखूं किसी अलमारी में, या
या, कबाड़ी वाले को ही न बेच दूं ??
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ऐसे ही एक ख्याल :)
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मेरी हथेली में
है कटी-फटी रेखाएँ
जीवन, भाग्य और प्रेम की
पर है सिर्फ एक
खुशियों का आभासी द्वीप
अंगूठे के नीचे
ठीक बाएं कोने पर !!
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उम्मीदें जवां हैं :)
7 comments:
smiritiyan kya bechne ya sanjone ki mohtaj hoti hai?
sabse alag...pr sarthak abhiwyakti...
बहुत ही सुंदर और अच्छी क्षणिकाएं।
bahoot sundar.......aabhar
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
सुन्दर क्षणिकाएँ
बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं।.
बहुत खूब !
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