जिंदगी की राहें

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Wednesday, February 5, 2014

मित्रता का गणितीय सिद्धांत



शांत सौम्य निश्छल
थी उम्रदराज
बस थोड़ी होंगी उम्र में बड़ी
यानि संभावनाएं....
मित्रता के साथ
थी, मिलने वाली सलाह की
उम्मीद तो रहती ही है
पर ये उम्मीद हुई भी पूरी
कभी मिली सलाह
कभी की उन्होने खिंचाई
कुछ साहित्यक त्रुटियाँ भी बताई
हमने भी सीखा व सराहा !

एक बार, अनायास ही हुआ उजागर
उनके व्यक्तित्व का नया अनबूझा सा पन्ना
नितांत वैयक्तिक उपलब्धियों की लालसा में
चतुराई से किया हुआ
जोड़, घटाव, गुणा भाग का
एक अलग गणित
संबंधो के धरातल पर
क्योंकि वो गढ़ रही थी
रिश्तों के नए प्रमेय
जो था नए संबंधो पर आधारित!
तभी तो “दो सामानांतर रखाओं को
जब त्रियक रेखा काटे तो
होते हैं, एकांतर कोण बराबर”
इसी सिधान्त पर समझा रहीं थी
ढूंढ रही थी, मेरी गलतियाँ
ताकि, दिख पाये, सब बराबर
आजमाए गए गणितीय सूत्र
ताकि सिद्ध हो पाये कि
रिश्तों के प्रमेय
का गढ़ना है उचित !!

माफ करो यार !!
ऐसी मित्रता को दूर से सलाम
एक गणितीय सिद्धान्त और है
“समानान्तर रेखाएँ
मिलती हैं अनंत पर जाकर”
तो एक स्पेसिफिक स्पेस
बना लिया है मैंने
हर समय के लिए
बी हॅप्पी न ................!! 

________________
कहानीकार के तरह कवितायें गढ़ने के लिए भी प्लॉट की जरूरत होती है, कभी कभी ........ एक ऐसे ही प्लॉट के साथ !!


28 comments:

shashi purwar said...

waah mukesh ji kya likha hai aapne :) accha ganitiye sidhant :)

Guzarish said...

वाह भाई क्या बात है
लगता है आप रिश्तों के गणितीय सिद्धांत से काफी परेशान हैं

shikha varshney said...

क्या हो गया ? :)

vandana gupta said...

कौन है वो ? बोलो बोलो कौन है वो ? :)

vandana gupta said...

वैसे मित्रता किसी सिद्धांत की मोहताज़ नहीं होती मुकेश

Dr. Vandana Singh said...

गणित के गुना भाग और घटा जोड़ , रिश्तों की मिठास ख़तम कर देते हैं सच है !!!

Anonymous said...

गूढ़ अर्थों को समेटे रिश्तों की गणितीय प्रमेय - वाह

nayee dunia said...

ye kaisa ganit hai ..!

ब्लॉग बुलेटिन said...


ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन किस रूप मे याद रखा जाएगा जंतर मंतर को मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Parul Chandra said...

जीवन में सब कुछ सिद्धांतों पर आधारित नहीं होता...बहुत अच्छा लिखा है आपने...

Unknown said...

Rishte bhi yadi koi shart,sidhant pe aadharit ho to we rishte kahan...bahut achha likha aapne...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मित्रता का प्रमेय यह भी कहता है कि समद्विबाहु त्रिभुज के आधार पर के कोण बराबर होते हैं. दो मित्र तो वैसे भी दो भुजाओं की तरह होते हैं, बराबर होना ही चाहिए! ऐसे में रिश्तों के कोण बड़े छोटे नहीं होते! एक पुरानी कहावत हमेशा याद रखनी चाहिए
निन्दक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाए,
/
कविता का प्लॉट बहुत सुन्दर है!!

Ranjana verma said...
This comment has been removed by the author.
Ranjana verma said...

दोस्ती विश्वास पर टिके होते है... विश्वास टूटने से तकलीफ तो होती है... बहुत अच्छ लिखा आपने.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

रिश्तों में भी गणितीय सिद्धांत ..... ऐसा क्या ???

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...

मित्रता में गणित का क्या काम .....??

Anupama Tripathi said...
This comment has been removed by the author.
Preeti 'Agyaat' said...

बहुत सुंदर रचना..गणितीय सिद्धांत के साथ. यही दिक्कत है, हम विज्ञान वालों की..कविता में भी खींच ही लेते हैं अपना विषय :) मैं भी यही कर बैठती हूँ, देखिए इसे :P

http://agyaatpreeti.blogspot.in/2014/01/blog-post_8.html

प्रवीण पाण्डेय said...

जब भी गणित परेशान करती है, एक विमा ऊपर चला जाता हूँ।

Aditi Poonam said...

हिसाब किताब रिश्तों को प्रभावित करने लगते हैं
ये तो सरल रेखा है