कमबख्त, ये सेलफोन!
जब आया तो लगा
जैसे संपर्क सूत्र बढ़ाएगा..
हर अपने को..
बतियाते हुए
और करीब लाएगा
पर विज्ञान का
एक साधारण आविष्कार..
उस छुरी-चाकू की तरह है
जो काटता है फल..
वो काट सकता है गरदनें..
इस मुए
सेलफोन ने
छिन ली मिलने की लालसा..
बस बतिया कर,
पूछ कर क्षेम-कुशल..
रह जाते हैं,
स्वयं को सिमेट कर
खुद अपने ही खोल मे !
जिन रिश्तों के लिए मरते थे
वो अब 'हाय! हैलो!'
में लगा है मरने..
कहीं ऐसा तो नहीं
कि, इस मोबाइल के
कारण ही रिश्ते भी
लगे हैं रिसने..
मुट्ठी में भरे रेत की तरह
भरभराने लगे हैं...
है न... सच.. कुछ ऐसा ही !!
काश,
सेलफोन-रिचार्ज की तरह
रिसते हुए रिश्ते
भी हो पाते रिचार्ज..
पुल बांधता ये सेलफोन..
ले आता रिश्तों में सामिप्य..
काश!
जैसे तरंगे भर देती हैं
मुर्दे में भी जान..
ठीक वैसे,
सेल फोन की ध्वनि तरंग
से भी, बज उठती मन के भीतर...
आनंद की एक मृदंग..
काश!
हम वाकई महसूस कर पाते
एक मोबाइल की सार्थकता.....
32 comments:
kash ristye bhi recharge ho sakte ..........bahut khub
Kaash rishte bhi recharge ho sakte........bahut khub
Kaash rishte bhi recharge ho sakte........bahut khub
Kaash rishte bhi recharge ho sakte........bahut khub
बहुत खूब
सच कहा आज रिश्तों के रिचार्ज होने की ज्यादा जरुरत है
व्यवहारिक पक्ष पर खूबसूरत बयान।
काश ....लेकिन हमारे लिए तो यही एकमात्र सूत्र है आफ्नो के करीब रहने का हम क्या करें ...:)
वाह बहुत खूब कही है, आपने बात!!
जब से ये जीवन में है आया
मैमोरी लॉस जीवन में पाया
सच कहा आपने रिश्तो को रिचार्ज की ज्यादा जरुरत हैं
सच कहा आपने रिश्तो को रिचार्ज की ज्यादा जरुरत हैं
सच कहा आपने रिश्तो को रिचार्ज की ज्यादा जरुरत हैं
प्रिय बंधुवर मुकेश कुमार सिन्हा जी
जन्मदिवस के मंगलमय अवसर पर
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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मोबाइल के कारण ही
रिश्ते भी लगे हैं रिसने..
मुट्ठी में भरे रेत की तरह भरभराने लगे हैं...
सच कहा आपने
सुंदर रचना के लिए साधुवाद
बधाई और शुभकामनाएं !
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मिलते रहिये मिलाते रहिये
रिश्तो को संजोये रहिये ।
सेल फोन पर बतियाते रहिये
पर उसी पर निर्भर ना रहिये ।
बहुत सुंदर लेख .
रिश्ते नाते भी सेल में चले गये।
वाह सटीक सम-सामयिक लेखन , सच ही कहा
रिश्तों का दुश्मन है ये मोबाइल और जान लेवा भी मगर बेहद जरूरी भी
रिश्तों का रिचार्ज ..... बहुत खूब !
सेल फोन आज की ज़रूरत तो है पर इसका दुरुपयोग ज्यादा होने लगा है .... रिश्तों को रिचार्ज करने के लिए स्नेह की बैटरी बड़ी सीमित सी रह गयी है ।
aaj ka lekhan aaj key vichar....par hum kahan ye sochte hain hum tho bas latest technology wale cell phone chahte hain....rishton ko tho humne tak par rakh diya hai
कल की बुलेटिन फटफटिया …. ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
तकनीक कितनी मददगार होगी , यह उपयोग करने वाले पर निर्भर करता है।
बहुत काम की चीज है सेलफोन जिसे लोग बेकाम का करने पर जुटे हैं !!
Rishtey recharge karne ka ek jhariya bhi to ban sakta hai ye cell phone ...
बहुत खूब
sach kaha! rishton ke recharge hone ki behad aavshaykta hai ...achchhi prastuti
सुन्दर चिंतन ...
सत्य वचन कवि महोदय.. जीवन की आप-धापी भी हमारी ही बनायीं हुयी है.. और ये गैजेट्स भी.. कभी सुविधा के लिए बने इन खिलौनों ने जन मानस को ही गुलाम कर दिया है.. नया मॉडल.. एक और नया मॉडल... उसके पास क्या है.. मेरे पास क्या नहीं है.... और हमारे बच्चे.. वो तो जैसे इन्हें हाथ में लिए धरती पर अवतरित हुए ....
बहुत सुन्दर...
kisi bhi chhoti si baaton ko kavita me rach dena koi aapse seekhe ....
rishte jodne aasaan hote hain unhe sahejne ke liye lagaataar mehnat karni padti hai .... ye wahi tarange hain jinse aap jhankrit bhi hote ho saath hi jhatke dekar apne hone ka ehsaas bhi karati hain.......hamesha ki tarah ...rozmarra se judi cheeson se nikalagaya jeevan satya....bahut khoob..god bless
बिल्कुल सही कहा......
मंगलवार 05/11/2013 को
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