वो मिली
चढ़ती सीढियों पर
मिल ही गयी
पहले थोड़ी
नाखून भर
फिर
पूरी की पूरी..
ओंठ भर
और फिर
प्यार की सीढियों
पर
चढ़ते चले गए....
वो फिर
मिली
उन्ही सीढियों पर,
पर इस बार
सीढियाँ नीचे जाती हुई
आँखे नम थी
नीचे दरवाजे तक
एक दुसरे के आँखे टकराई
फिर दूरियां
सिर्फ दूरियां ............!!
48 comments:
बहुत बढ़िया सही लिखा है ..प्रेम गली अति संकरी वाली बात है इस रचना में .....
बहुत सुन्दर.....
अच्छी रचना मुकेश जी...
अनु
बहुत सुन्दर रचना..
सुन्दर...
:-)
बहुत सुन्दर रचना ..... अधूरी सी ...कुछ.....
पर अपने आप में पूरी सी....
regards
Its very good, lovely & touching too.........
सीढ़ियाँ वही...मिलना भी वही...पर भाव बदल गए...बढी हुई दूरियों के साथ, बढ़िया रचना !!
एक
रूमानी
अहसास
..कुछ
कुछ
अधुरा
सा
..... खुद
में
ही
पूरा
sa
.......... सुंदर रचना
sundar rachna
बढी हुई दूरियों के साथ...दिल के सुंदर एहसास
बढ़िया रचना !!
बहूत ही सुंदर एवं गहन भावभिव्यक्ति...
sundar rachna ...
shubhkamnayen ...
Bahut hee sundar rachana!
बहुत खूबसूरत !
बिल्कुल जिंदगी
की तरह किया
उसने व्यव्हार
बच्चे की तरह
खिलकिलाते चढं
गयी ऊपर
बूढी़ हो कर
उतर आई !
वाह , प्रेम की अभिव्यक्ति इतनी सरलता से , कुछ तो है . मस्त
बहुत सुंदर रचना मुकेश जी। गहन भावों से भरी हुई। सादर
ये इंस्टेंट लव है भाई ,बुखार चढ़ भी गया ,उतर भी गया .....
शुक्रवार, 7 सितम्बर 2012
क्या अपपठन (डिसलेक्सिया )और आत्मविमोह (ऑटिज्म )का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक में ?
its very difficult to control ones feelins bt in our life we hav to control them nt just for self bt for survive in d world:(
ur creation is very gud bt sad:(
्सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह ... बेहतरीन ।
बहुत ही सुन्दर रचना |
वाह ...
मुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
खूबसूरती से लिखे एहसास .... सीढ़ियाँ भी गवाह रहीं चढ़ते उतरते प्रेम की
एक और बेहतरीन रचना के लिए बधाइयाँ !
प्यार ... सीढियों से उतरकर भी नमी लिए एक झील बन जाता है
मधुर.... और भावनात्मक...
मधुर.... और भावनात्मक...
Shweta Agarwal
Chadhta Uttarta Pyaar....
Pyaar chadhta bhi mila aur uttarta bhi....aur pyaar ka ehsaas jo mittha bhi hota hai aur dard bhara bhi....uska bhi ehsaas aapne apni rachna mein karaya hai.....saral shabdon mein pyaar ka vyaakhyaan pehli baar dekha...bahut khub....aapko aapki aisi racha par bahut bahut badhayi :)
बहुत सुन्दर कविता,काबिले तारीफ ।
मेरे नए पोस्ट - "क्या आप इंटरनेट पर मशहूर होना चाहते है?" को अवश्य पढ़े ।धन्यवाद ।
मेरा ब्लॉग पता है - harshprachar.blogspot.com
उतार चढ़ाव से भरी जीवन की ये राहें।
गहरे भाव लिए .... जाने और आने के बीच कितना कुछ फांसला तय हो गया ..
ये कैसा प्यार हैं ?????
drishti badali, bhaw badale to vichar bhi kitna badal gaya. sab kuchh wahi... khoobsoorat andaaj.
drishti badali, bhaw badale to vichar bhi kitna badal gaya. sab kuchh wahi... khoobsoorat andaaj.
वही हम...
वही तुम..
वही अहसास ......
लेकिन हालातों के सामने मजबूर.....!!!!!!!!!
सुन्दर रचना...
sunder abhivyakti, par payar kae adhuraepan ka ehsas
.
मिलना बिछड़ना जीवन झरना ...
सीढियाँ चढ़ने और उतारने के बीच के पल स्मृति बन हमेशा साथ रहते हैं , प्रेम उन पलों में ठहरा होता है !
behtreen rachna
गागर में सागर....उम्दा भाव से सुसज्जित बेहतरीन रचना |
romanchak ,bhavnatmak rachna ke lie aapko hardik badhai.
होता है ऐसा भी कई बार , किसी जगह ...कोई बात नही ...!!
बहुत सुंदर रचना ...
सुंदर रचना
चढ़ाव और उतार- दोनों का क्रम होता है,चलो पूरा हुआ !
बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
बहुत कम शब्दों में भी बहुत कुछ कह गयी आपकी ये रचना .... बहुत ही सुन्दर
बहुत सुन्दर रचना...
गहरा भाव लिए हुए ............सुन्दर कविता :))
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