जिंदगी की राहें

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Wednesday, April 6, 2022

हुकूमत



रात
नींद
सपने
बिस्तर
देह
और आराम
फिर
इन सबका घाल मेल
और इनके बीच
घुसपैठ करती तुम
ऐसे कोई कहता है क्या कि
मुझ पर कविता लिखना
हर जगह तो दिखाती हो हुकूमत
रात की चंदा
नींद के सपने
सपने की नायिका
बिस्तर की सिलवटें
देह की सिहरन
और, और आराम की खूबसूरत खलल बनकर
क्यों पहुंचती हो इस हद तक
कि कविता पहुंचें
हदों के पार
खैर, मानोगी थोड़ी
नींद के साथ, नींद से पहले भी
आया ही करोगी तुम
वजह बेवजह।
आती रहना !
... है न!
~मुकेश~


4 comments:

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति

Hindindia.com said...
This comment has been removed by the author.
Hindindia.com said...

Superb writing .... Thanks for sharing :)

डॉ. जेन्नी शबनम said...

वाह! बहुत खूब! है न!