हो बेहद खूबसूरत
इतना ही तो कहा था
कि बोल उठी
लजाती भोर सी
हल्की गुलाबी स्नेहिल प्रकाश के साथ
रंग बिखेरती हुई
- ब्यूटी लाइज इन द आइज ऑफ द बीहोल्डर
इतना ही तो कहा था
कि बोल उठी
लजाती भोर सी
हल्की गुलाबी स्नेहिल प्रकाश के साथ
रंग बिखेरती हुई
- ब्यूटी लाइज इन द आइज ऑफ द बीहोल्डर
तत्क्षण
आंखों की पुतलियों संग
छमकते प्रदीप्त काली चकमक संगमरमर सी
कोर्निया और रेटिना के मध्य
लहरा उठा सारा संसार
कहाँ तक निहारूं ?
आंखों की पुतलियों संग
छमकते प्रदीप्त काली चकमक संगमरमर सी
कोर्निया और रेटिना के मध्य
लहरा उठा सारा संसार
कहाँ तक निहारूं ?
हो सकता है,
खूबसूरती की वजह थी
निकटता का अक्षुण्ण एहसास
या फिर
आखों के उस
गहरे लहराते संसार में
प्रेम का चप्पू थामे
डूबता उतराते महसूस रहा था
भीग चुके मन के अन्दर की नमी को
या पता नहीं
थी एक अलग तरह की उष्णता
उसके पास आने के वजह से
खूबसूरती की वजह थी
निकटता का अक्षुण्ण एहसास
या फिर
आखों के उस
गहरे लहराते संसार में
प्रेम का चप्पू थामे
डूबता उतराते महसूस रहा था
भीग चुके मन के अन्दर की नमी को
या पता नहीं
थी एक अलग तरह की उष्णता
उसके पास आने के वजह से
दूसरों के आवाजाही से इतर
प्रेम के रौशनदान सरीखे
उसके आँखों में ही
सिमटते हुए
चाह रहा था समझना कि
क्यों न एक सपनों का घोंसला हो
इन पलकों के भीतर
और बरौनियों का झीना पर्दा रहे हरसमय
ताकि प्रेम के आगोश का सुख
ताकते हुए ले सके चुपचाप
प्रेम के रौशनदान सरीखे
उसके आँखों में ही
सिमटते हुए
चाह रहा था समझना कि
क्यों न एक सपनों का घोंसला हो
इन पलकों के भीतर
और बरौनियों का झीना पर्दा रहे हरसमय
ताकि प्रेम के आगोश का सुख
ताकते हुए ले सके चुपचाप
निहारने का सुख
निकटता के भाव को नवीनीकृत करने का
एक तर्कसंगत युक्ति भर ही तो है
निकटता के भाव को नवीनीकृत करने का
एक तर्कसंगत युक्ति भर ही तो है
.... है न !!!
~मुकेश~
6 comments:
बहुत बढ़िया!!!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को "गठबन्धन की नाव" (चर्चा अंक- 3518) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब
सुन्दर प्रस्तुति
Sir meri posem published ho jayegi
Very good lines
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