जिंदगी की राहें

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Monday, September 30, 2019

प्रेमसिक्त धड़कन



तेज धड़कनों का सच
समय के साथ बदल जाता है

कभी देखते ही
या स्पर्श भर से
स्वमेव तेज रुधिर धार
बता देती थी
हृदय के अलिंद निलय के बीच
लाल-श्वेत रक्त कोशिकाएं भी
करने लगती थी प्रेमालाप
वजह होती थीं 'तुम'


इन दिनों उम्र के साथ
धड़कनों ने फिर से
शुरू की है तेज़ी दिखानी
वजह बेशक
दिल द मामला है
जहाँ कभी बसती थी 'तुम'

तुम और तुम्हारा स्पर्श
उन दिनों
कोलेस्ट्रॉल पिघला देते थे
शायद!
पर, इन दिनों उसी कोलेस्ट्रॉल ने
दिल के कुछ नसों के भीतर
बसा लिया है डेरा
बढ़ा दिया करती हैं धड़कनें
ख़ाम्ख़्वाह!

मेडिकल रिपोर्ट्स
बता रही हैं
करवानी ही होगी
एंजियोप्लास्टी
आखिर तुम व तुम्हारा स्पर्श
सम्भव भी तो नहीं है

11 comments:

Rohitas Ghorela said...

एक अनोखे अंदाज में दर्द बयां करती रचना। अंतिम पंक्तियों में कमाल की कसक है।

पधारें शून्य पार 

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-10-2019) को    "बापू जी का जन्मदिन"    (चर्चा अंक- 3476)     पर भी होगी। 
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
 --
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

मन की वीणा said...

अलहदा अंदाज साइंस और एहसासों का सुंदर चित्रण।

अनीता सैनी said...

वाह !बेहतरीन सृजन साइंस का हाथ थामें..
सादर

Digvijay Agrawal said...

शुभ प्रभात..
कभी देखते ही
या स्पर्श भर से
स्वमेव तेज रुधिर धार
बता देती थी
हृदय के अलिंद निलय के बीच
लाल-श्वेत रक्त कोशिकाएं भी
करने लगती थी प्रेमालाप
वजह होती थीं 'तुम'

Nitish Tiwary said...

बहुत ही खूबसूरत दिल का मामला है। सुंदर व सुखद एहसास।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वगात है।
iwillrocknow.com

Onkar said...

बहुत खूब

India Support said...

बहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.

webinhindi said...

webinhindi
सुंदर !!अति सुंदर, आपकी कविता बहुत ही अद्भुत है। आपकी इस कविता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

Tech Master Hindi said...

very useful information.movie4me very very nice article

Tech Master Hindi said...

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