जिंदगी की राहें

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Saturday, February 17, 2018

भागी हुई लड़की


भागी हुई लड़की
मिली थी ट्रेन में, सामने वाली बर्थ पर बैठी थी सकुचाई हुई
शायद नहीं था पता उसे गंतव्य का
तभी तो नहीं था ट्रेन टिकट
या फिर ये भी हो सकता कि नहीं थे पैसे
क्योंकि उसने नहीं खाई एक बार भी मूंगफली
या नहीं पीया चाय !
जैसे सोचते हो न, भागी हुई लड़की
होगी बहुत बहुत खूबसूरत
पर, बेवकूफ हो, वो उलझे बालों वाली बालिका
नहीं थी सुन्दर, न ही इंटेलिजेंट
भूख से तिलमिलाई ताक रही थी
बस टुकुर टुकुर
नहीं समझ पा रही थी वो
स्वयं के अन्दर चल रहा था शायद अंतर्द्वंद
क्यों भागी वो अपने अम्मा और बाबा को छोड़ कर
क्योंकि घर में भी नहीं मिला था खाना
या फिर इस शक्ल के साथ, दूर के रिश्ते का मामा
आँखों से बींध देता था रोज
बुरे स्पर्श की नियति आखिर झेले कब तक
उदर की भूख और भूखी बद नजर से
बचने को ..........
भागी थी लड़की
वो बात थी दीगर
भागी हुई लड़की फिर से झेल रही थी
पेट का दर्द व घूरती नजर
अब ठप्पा भी लग गया था कि
वो है "भागी हुई लड़की"
क्या क्या झेले आखिर !
भागी हुई लड़की !
~मुकेश~


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