आईने के सामने खड़ा अकेला व्यक्ति
एकांत का प्रतिरोध करने की
एक वाजिब सी कोशिश के साथ !!
वो और उसका प्रतिबिम्ब
जैसे दो बचपन के यार
जैसे एक और एक दो नहीं
हो जाएँ ग्यारह, ऐसी हो उम्मीद !!
होता है न सच्चा और सार्थक
एक ऐसे शख्स का साथ
जो होता है स्वयं जैसा
एक जैसे गुण, दुर्गुण सद्गुण के साथ !!
यानि हँसे तो वो भी मुस्काया खिलखिलाया
रोये तो उसने भी मुंह बनाया, टपकाए आंसू !!
आता है प्यार, उस पर, जो होता है
आईने के उस पार !
जो करते हैं खुद को प्यार
उन्हें आईने में दिख जाता है
हमसफ़र, हमदम हमनजर !!
मतलब, जैसे आईने के सामने वो बुदबुदाया
- 'लव यू'
तो लगा ऐसे, जैसे सामने से होंठ हिले
दर्पण के उस पार
हमशक्ल ने कहा 'सेम टू यू' !!
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