फटे हुए एम्प्लीफायर स्पीकर की तरह
गडगड़ाता बादल, नमी से लबालब
ट्रांसफॉर्मर के कनेक्शन वाले मोटे तार से
ओवरलोडेड पॉवर सप्लाई के कारण
कड़ कड़ाती बिजली, जो दूर तलक़ दिख रही
किसी रोमांटिक मूवी की बेहद ख़ूबसूरत अभिनेत्री सी
भीगे पल्लू के साथ भागती बारिश
ठहरती/थमती कभी तेज चालों से झनमनाती
कभी लयबद्ध तो कभी बिना किसी लय के
सारा फैला एक टुकड़ा आकाश
राजकपूर की मंदाकिनी सा
गीला-गीला हो उठा,
है हर एक की नजर
आकाश के विस्तार पर जमी
बिखरे टूटे पत्ते व
भीगी सौंधी मिट्टी की महक
चुपके से कह उठी
हाँ वो अभी अभी तो आई थी
एक या दो बूँद
मेरी पलकों पर भी छमकी
आखिर उसकी ही वजह से
बेमौसम मेरे मन का मानसून
टपक पड़ा
स्मृतियों में दरकती मेरी तड़ित
कहीं, तुम मुझे जला मत देना ..........
पल भर में !!
2 comments:
सुन्दर सब्द रचना
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (02-12-2016) के चर्चा मंच "
सुखद भविष्य की प्रतीक्षा में दुःखद वर्तमान (चर्चा अंक-2544)
" (चर्चा अंक-2542) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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