हाँ नहीं व्यक्त कर पाता अपनी भावनाएं
शायद अंतस के भाव ही मर गए या हो चुके सुसुप्त!
या फिर शब्दों की डिक्शनरी चिंदी चिंदी हो कर
उड़ गयी आसमान में !!
तड़पते शब्द, बिलखते वाक्य
अगर मर गए तो करना होगा इनका दाहसंस्कार
नहीं तो बेकार में मारेंगे सडांध !!
या फिर सुसुप्त हो गए, तो
बन जायेंगे मृत ज्वालामुखी से
जिसकी क्रेटर तक ढक चुकी होगी
होंगी, कई तरह के परतें
स्लेश्मा, लावा पत्थर और पता नहीं क्या क्या
पर क्या वो दिन आएगा,
जब फिर से मचेगा हाहाकार!!
दहकते शब्द और उनके धार
बहती भावनाएं
और फिर शब्दों की बाजीगरी दिखाती
फूट पड़ेगा ज्वालामुखी
समेट लेगी सभी आलोचनाएँ,
उन दर्द और दुःख को भी, जिन्हें
क्षण हर क्षण झेलने के बावजूद कह नहीं पाया कुछ !!
काश चुप्पे से एक शख्स की भी संवेदनाएं
बहती जलधारा के उद्वेग की तरह
बह जाए, बहा ले जाए
पल प्रति पल
काश !! सम्बन्ध और संवाद की कविताओं के लिए
4 comments:
सुन्दर प्रस्तुति
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 25 अगस्त 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
bahut sundar prastuti
बहुत सुन्दर रचना
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
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