ए आकाश !!
बुझाओ न मेरी प्यास
सूखी धूल उड़ाती, तपती गर्मी से
जान तो छुड़ाओ
ठुनकती हुई नवोदित हिरोइन की तरह
बोल उठी हमरी धरती अनायास !!
यंग एंग्री मैंन की तरह
पहले से ही भभका हुआ था बादल
सूरज की चमकती ताप में जलता
गुर्रा उठा हुंह, कैसे बरसूँ
नहीं है मेरे में अभी बरसने का अहसास !!
पता नहीं कब आयेंगे
पानी से लदे डभके हुए मेघ भरे मॉनसून
और कब हम बादलों में
संघनित हो भर जायेंगे जल के निर्मल कण
ए धरती सुनो, तुम भी तो करो प्रार्थना
हे भगवन, भेजो बादल, तभी वो सुनेंगे तुम्हारी अरदास!!
वैसे भी इस कंक्रीट जंगल में
भुमंडलीकरण ने हर ली है हरियाली
फिर भी भले, जितने भी बीते दिन
हो सकता है लग जाये समय, पर
ए धरती, आऊंगा भिगोने
ऐसा तुम रख सकती हो आस !!
भिगोता रहेगा तुम्हे, हमारे
रिश्तो का नमी युक्त अहसास
भींग जाओ तुम तो
फ़ैल जाएँ चहुँ ओर खुशियाँ
चमक उठे पेड़, चहचहाने लगे विहग
मैं आऊंगा, छमछम – छमाछम
बरसाऊंगा नेह जल
सुन रही हो न !!
कह रहा तुम्हारा आकाश, रखना विश्वास !!
मिलन होगा,
जरुर होगा
मिलेंगे एक दिन हम
धरती और आकाश !!
एक मौनसुनी कविता :)
8 comments:
वाह ! पर्यावरण के प्रति सचेत करती रचना !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (22-07-2014) को "दौड़ने के लिये दौड़ रहा" {चर्चामंच - 1682} पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (22-07-2014) को "दौड़ने के लिये दौड़ रहा" {चर्चामंच - 1682} पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, विज्ञापनों का निचोड़ - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह..... सुन्दर, सार्थक भाव....
बढ़िया प्रस्तुति व रचना , मुकेश भाई धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
khubsurat shabd ke sath sundar rachna...
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