मेरे घर के कोने में पड़ा
नीले रंग का प्लास्टिक का
सुन्दर सा बाल्टीनुमा डस्टबिन
है उसमे लीवर-सा सिस्टम
ताकि उसको पैर से दबाते ही
लपलपाते घड़ियाल के मुंह के तरह
खुल जाता है ढक्कन !!
सुविधाजनक डस्टबिन
समेट लेता है हर तरह का कूड़ा
जूठन/धूल/कागज़/और भी
सब कुछ / बहुत कुछ
बाहर से दिखता है सलीकेदार
नहीं फैलने देता दुर्गन्ध
नहीं बढ़ने देता रोग के कीटाणु
है अहम्, मेरे घर का डस्टबिन
आखिर हैं हम सफाई पसंद लोग !!
अगर मैं खुद को करूँ कम्पेयर
तो पाता हूँ, मैं भी हूँ
एक शोफिसटिकेटड डस्टबिन
सहेजे रहता हूँ गंदगी अन्दर
तन की गंदगी
मन की गंदगी, हर तरह से
गुस्सा/इर्ष्या/जलन/दुश्मनी
हर तरह का दुर्गुण/अवगुण
है, अहंकार का ढक्कन भी
पर, हाँ, बाहर से टिप-टॉप
एक प्यारा सा मस्तमौला इंसान
अन्दर पड़ी सारी दुर्भावनाएं
फ़रमनटेट करती है
और अधिक कंडेंसड हो जाती है
और फिर, गलती से या अचानक
दिखा ही देती है मेरा अन्तःरूप !!
साफ़ हो जाता है डस्टबिन
एक फिक्स आवर्ती समय पर
पर मेरे अन्दर के
दुर्गुण के लेयर्स
सहेजे हुए परत दर परत
हो रहा है संग्रहित !!
काश ! स्वभावजन्य कमजोरियों से
हुई दुर्गुणों के अपच को
शब्दों के पश्चाताप से रोगमुक्त कर
सादगी भरी स्वीकारोक्ति की डूबकी लगा
साफ़ स्वच्छ छवि के साथ
एक बार फिर से हो पाता प्रतिष्ठित
एक काश, ही तो कहना होगा
प्रियोडीकली !!
और मेरे सर के ऊपर का आसमान
पूर्ववत रहेगा सुन्दर
सम्मोहक नीला !!
15 comments:
बहुत बेबाकी से लिखा मुकेश जी बधाई
बहुत सुंदर.
behad khubsurat...
अगर मैं खुद को करूँ कम्पेयर
तो पाता हूँ, मैं भी हूँ
एक शोफिसटिकेटड डस्टबिन
सहेजे रहता हूँ गंदगी अन्दर
तन की गंदगी
not only you ,every person on this earth like a dustbin .nice expresion .thanks
अगर मैं खुद को करूँ कम्पेयर
तो पाता हूँ, मैं भी हूँ
एक शोफिसटिकेटड डस्टबिन
सहेजे रहता हूँ गंदगी अन्दर
तन की गंदगी
not only you ,every person on this earth like a dustbin .nice expresion .thanks
एक साधारण सी चीज़ पर असाधारण रचना
कूड़ा निकाला और सामने से हटा लिया यही बड़ी बात है - हरएक का अपना डस्टबिन होता है. कूड़ा होना भी स्वाभाविक है.माने कोई चाहे न माने! .
आपकी लिखी रचना शनिवार 19 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...।
वाह...बड़ी खूबसूरती से आपने मानव स्वभाव की कमियों को शब्द दिये हैं...जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है...लाजवाब।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
सार्थक शब्दों के साथ खूबसूरत अभिव्यक्ति
शानदार रचना, एक अलग ही रंग लिए, सुंदर अभिव्यक्ति !
असल सफाई की प्रतीक्षा तो इसी डस्टबिन को है ... और ये सफाई भी हमने खुद ही करनी है ...
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