जूते के लेस
बेचारे बंधे बंधे रहते हैं, हर समय
छाती पर बंधे हाथों की तरह
एक दम सिमटे, गांठ बांधे
पर देते हैं एहसास
सब कुछ समेटे रखने का
चुस्त, दुरुस्त !!
कभी कभी थके बाहों जैसे
जूते के लेस भी
चाहते हैं लहराना हाथों के तरह ही
एक आगे, एक पीछे के
तारतम्य के साथ
तो, कभी बेढ़ब चाल में
चाहते हैं फुदकना
मस्त अलमस्त !!
तभी तो लेफ्ट राइट होते
पैरों के नीचे, पैंट के सतह से
टकरा कर ये लेस
करते हैं कोशिश खुलने का
बहुत बार खुल कर
दिखा ही देते हैं, आजादी
कहते हैं, बहुत हुए त्रस्त और पस्त!!
बड़े होते हैं बदमाश
ये जूते के लेस
जान बुझ कर, खुद ही
दब जाते हैं जूते से
गिर जाता है बलखा कर
जूते पर जो खड़ा था
दिखा रहा था अकड़ !
आखिर "अहमियत" भी
है एक शब्द !
जूता हो, या हो जूते का लेस
या हो सर की टोपी, या हो बटन !!
7 comments:
हर चीज़ का महत्व है.... मायने हैं.....
सुन्दर और सार्थक लिखा
मन को छूता हुआ
सादर---
बहुत खूब वाह ।
आखिर अहमियत भी कोई चीज है....
यदा-कदा बताते भी रहना चाहिए... सार्थक रचना
आखिर "अहमियत" भी
है एक शब्द !
जूता हो, या हो जूते का लेस
या हो सर की टोपी, या हो बटन !!
सही कहा।
आखिर "अहमियत" भी
है एक शब्द !
क्या बात है ! :)
सबसे अच्छे जूते
भारत में सबसे अच्छे जूते किस किस कंपनी के आते हैं ।
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