आज मंगलवार
बजरंगबली का दिन !!
स्थापित सिंदूरी हनुमान
दे रहे मुस्कान
भव्य मंदिर में थे स्थापित
आज पुजारी भी था परेशान
आखिर कर रहा था लगातार..
लड्डुओं का आदान-प्रदान भक्त..
दर्शनार्थी.. पंक्तिबद्ध
चढ़ रहा था चढ़ावा
लड्डू मोतीचूर, बेसन के और फल
पाँच से हजार के कड़क नोट
एक ने सोने की छतरी चढ़ाई
शायद 'हनु' ने ठेका दिलाई..
पत्थर का.. चुप्पी साधे भगवान
भोग के लड्डुओं से लगा ढकने
बड़े पैसे वाले
बड़ी कार वाले
बड़े बड़े दुखो के साथ
थे कतारबद्ध
प्राश्चित के लिए
वैसे उनकी थी वीआईपी पंक्ति
पुजारी भी था आशावान
मोटे तोंद वाले भक्त की मुट्ठी थी बंद
छोटे मोटे दुख दर्द का हो जाए निवारण
चार लड्डुओं के संग
'हनुमान चालीसा' रटता हुआ
मैं भी कतार में..
जैसे ही आई बारी
श्रद्धा से सर झुकाया
पर नजर अटक गई लड्डुओं पर..
पुजारी ने कितने निकाले, थे कितने बचे?
हरते सबकी कठिनाइयाँ
'जय बजरंग बली' की उद्घोषणा!!
मंदिर के निचली सीढ़ियों पर
भूखे बच्चे को लिए बैठी औरत
असमर्थ थे वस्त्र शरीर ढकने में..
तभी तो लौटती भक्तों की नजर
ठहर ही जाती थी “वहीं पर” !!
______________________________ _____
होती जा रही थी उद्घोषणा... “जय बजरंगवली” !!
स्थापित सिंदूरी हनुमान
दे रहे मुस्कान
भव्य मंदिर में थे स्थापित
आज पुजारी भी था परेशान
आखिर कर रहा था लगातार..
लड्डुओं का आदान-प्रदान भक्त..
दर्शनार्थी.. पंक्तिबद्ध
चढ़ रहा था चढ़ावा
लड्डू मोतीचूर, बेसन के और फल
पाँच से हजार के कड़क नोट
एक ने सोने की छतरी चढ़ाई
शायद 'हनु' ने ठेका दिलाई..
पत्थर का.. चुप्पी साधे भगवान
भोग के लड्डुओं से लगा ढकने
बड़े पैसे वाले
बड़ी कार वाले
बड़े बड़े दुखो के साथ
थे कतारबद्ध
प्राश्चित के लिए
वैसे उनकी थी वीआईपी पंक्ति
पुजारी भी था आशावान
मोटे तोंद वाले भक्त की मुट्ठी थी बंद
छोटे मोटे दुख दर्द का हो जाए निवारण
चार लड्डुओं के संग
'हनुमान चालीसा' रटता हुआ
मैं भी कतार में..
जैसे ही आई बारी
श्रद्धा से सर झुकाया
पर नजर अटक गई लड्डुओं पर..
पुजारी ने कितने निकाले, थे कितने बचे?
हरते सबकी कठिनाइयाँ
'जय बजरंग बली' की उद्घोषणा!!
मंदिर के निचली सीढ़ियों पर
भूखे बच्चे को लिए बैठी औरत
असमर्थ थे वस्त्र शरीर ढकने में..
तभी तो लौटती भक्तों की नजर
ठहर ही जाती थी “वहीं पर” !!
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होती जा रही थी उद्घोषणा... “जय बजरंगवली” !!
14 comments:
बहुत खूब .... जय बजरंग बली ...
Iswhar.. araadhya.. kisi bhi dikhave ke bhookhe hain kya.. ye saB TO DHARM-TANTR KA EK HISSA HAI.. AAPKI BHAKTI ko exploit karti hai.... karara vyang aapke chirparichit style mein..
बहुत अच्छा लिखा है आपने। जय बजरंगबली!!
अब यही हालात हो गए --
"तीरथ चाले दोउ जन चित चंचल मन चोर
एकौ पाप न उतरयो दस मन लाये और।"
पाखंड और नाटकीयता ..
बहुत अच्छा चित्रण ...बहुत खूब मुकेशजी ।
जय बजरंग बली ...
उन चार लड्डुओं में हमारे लिये भी कुछ रखना :)
जय हो
आज मंगलवार है
हे बजरंग बली.... सबके जीवन को उनके हिस्से की खुशियां दे...ऐसे नज़ारे कहीं न दिखें ....
व्यंगात्मक रचना .. पूजा अर्चना सब अपने अनुसार करते हैं पर भगवान कोई भी उसे नहीं चाहिए ये दिखावा ये चढ़ावा उसे तो चाहिए वो हाथ जो जरुरतमंद लोगों की मदद कर सकें और वही वास्तविक पूजा है उनकी नजर में ....
जय बजरंग बली ...
सत्य लिखा, जय बजरंगबली.
रामराम.
हम कुछ कम कर सकें इनकेदुख हे बजरंग बली।
jay bajrangbali...bhagwan pe dil se likhe....laddu bhijwa do...
आस्था सारे दुःख हरती है , मगर अपना श्रम और प्रारब्ध भी तो कुछ होता है . वे आप हम को बनाते हैं माध्यम कि हम उनके लिए कुछ कर सकें !
jai hanumaan ji ki
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