जिंदगी की राहें

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Monday, May 5, 2014

'जय बजरंग बली'


आज मंगलवार 
बजरंगबली का दिन !! 
स्थापित सिंदूरी हनुमान 
दे रहे मुस्कान 
भव्य मंदिर में थे स्थापित 
आज पुजारी भी था परेशान
आखिर कर रहा था लगातार.. 
लड्डुओं का आदान-प्रदान भक्त.. 

दर्शनार्थी.. पंक्तिबद्ध 
चढ़ रहा था चढ़ावा 
लड्डू मोतीचूर, बेसन के और फल 
पाँच से हजार के कड़क नोट 
एक ने सोने की छतरी चढ़ाई 
शायद 'हनु' ने ठेका दिलाई.. 
पत्थर का.. चुप्पी साधे भगवान 
भोग के लड्डुओं से लगा ढकने 

बड़े पैसे वाले 
बड़ी कार वाले 
बड़े बड़े दुखो के साथ 
थे कतारबद्ध 
प्राश्चित के लिए 
वैसे उनकी थी वीआईपी पंक्ति 
पुजारी भी था आशावान 
मोटे तोंद वाले भक्त की मुट्ठी थी बंद 

छोटे मोटे दुख दर्द का हो जाए निवारण 
चार लड्डुओं के संग
'हनुमान चालीसा' रटता हुआ 
मैं भी कतार में.. 
जैसे ही आई बारी 
श्रद्धा से सर झुकाया 
पर नजर अटक गई लड्डुओं पर..
पुजारी ने कितने निकाले, थे कितने बचे? 

हरते सबकी कठिनाइयाँ
'जय बजरंग बली' की उद्घोषणा!! 
मंदिर के निचली सीढ़ियों पर 
भूखे बच्चे को लिए बैठी औरत 
असमर्थ थे वस्त्र शरीर ढकने में.. 
तभी तो लौटती भक्तों की नजर 
ठहर ही जाती थी वहीं पर” !!
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होती जा रही थी उद्घोषणा... जय बजरंगवली” !!