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था एकांत! मन में आया विचार
काश! मैं होता एक ऐसा चित्रकार
हाथ में होती तक़दीर की ब्रश
और सामने होती,
कैनवेस सी खुद की ज़िन्दगी
जी भर के भरता, वो सब रंग
जो होती चाहत, जो होते सपने
होते सारे चटक रंग
लाल, पीले, हरे, नारंगी
या सफ़ेद, आसमानी
जैसे शांत सौम्य रंग
ताकि मेरे तक़दीर की ब्रश
सजा पाती ज़िन्दगी को
जहाँ से दीदार कर पाते हैं ढेरों खुशियाँ
सिर्फ खुशियाँ !!
पर इन चटक और सौम्य रंगों के
मिश्रण से ही एक और रंग बना
जो था श्याम, थी कालिख
जो है रूप अंधकार का
जो देता है विरोधाभास!!
दी जिंदगी ने समझ
अगर नहीं होगा दुख और दर्द
तो नहीं भोग पाएंगे सुख
अहसास न हो पायेगा ख़ुशी का.... !!
फिर दर्द से भरे चित्र अनमोल होते है, ये भी सुना मैंने
~मुकेश~
12 comments:
बहुत सुंदर रचना :)
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
bahut sundar sapne kii sundar abhivyakti !
New post: शिशु
जीवन में भरे सभी रंग
बहुत सुंदर परिकल्पना.जिंदगी से जुडे कुछ स्केच भी जिम्दगी को उकेरते नजर आए.
यही तो सुन्दर जिंदगी का राज.. बढ़िया कहा है..
dard ka rang sabse alag hota hai
sunder kavita
badhai
rachana
बहुत खूब मुकेश जी , मंगलकामनाएं आपको !!
दी जिंदगी ने समझ
अगर नहीं होगा दुख और दर्द
तो नहीं भोग पाएंगे सुख
अहसास न हो पायेगा ख़ुशी का.... !!
...यही है शाश्वत सत्य...बहुत प्रभावी रचना..
काश ! पर तकदीर ने ज़िन्दगी में रंग भरने के अधिकार से हमें वंचित रखा है . नहीं तो किसी कि ज़िन्दगी बदरंग न होती .. जीवन से जुडी कविता !
अत्यंत प्रभावशाली सुन्दर पंक्तिया सुन्दरता से रची है आपने मुकेश जी
आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से
behud bhavpurn rachana..jindgi ke rang or kalpana ko samete....
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