जिंदगी की राहें

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Friday, December 6, 2013

ये भी है प्रेम


दो काफी मग
साथ मे फिफ़्टी-फिफ़्टी
के बिस्किट
दोनों और सोफ़े पर
मैं और तुम
सुनो ! एफ़एम भी लगा दो
अरे वाह, शानदार संगीत भी
हम तेरे बिन रह नहीं सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा ........
कितना रोमांटिक सीन
हो गया न क्रिएट !!

चलो अब तेजी से
गटक लेते हैं काफी
बिस्किट भी डुबो कर
खा ही लो
हम दोनों को ऑफिस भी तो जाना है न !!

(ये समय भी न, शादी-शुदा प्रेम की ऐसी की तैसी कर देती है :D )



12 comments:

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम का एहसास और हकीकत की काफी ... टेस्ट तो दोनों का एक सा ही है ...

Neelima sharma - nivia said...

कभी सपना सच लगता हैं कभी सच सपना ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर प्रेम रचना..
:-)

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
सुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !

Anju (Anu) Chaudhary said...

जिंदगी का एक सच :))))

विभूति" said...

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने..

Unknown said...

Mohak or sundar prastuti...wyakul prem rachna..

shikha varshney said...

चुराना चाहो तो इसमें से भी कुछ पल चुराए जा सकते हैं रोमांस के लिए :)

Pallavi saxena said...

अरे भईया इसके बावजूद भी 'प्रेम' तो है न यही बहुत है...:D

ANULATA RAJ NAIR said...

ये छोटे छोटे पल भी सदा याद रहते हैं....प्रेम को जिंदा रखते हैं...
प्यारे एहसास!!!
अनु

My Spicy Stories said...

Interesting Rachna Shared.by You. Thanks A Lot For Sharing.
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