सुन्दर अभिव्यक्ति!!अथाह जल (बाधाओं) को पिछे छोड सकारात्मक दृष्टि का संकेत।
उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति .कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें .
बहुत सुन्दर, कोमल भाव गिन्दगी की नाव् भवसागर में यूँ ही गुनगुनाते चलती रहे बधाई एवं शुभ कामनाएं
बहुत ही सुन्दर कविता, चित्रसम।
भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति
Sachitra sunder bhav......
सुन्दर चित्र के साथ सुन्दर रचना..:-)
लम्हे को शब्दों में बाँधने का प्रयास ... लाजवाब चित्र उर उसपे किल्हे बोल ...
खूबसूरत।
sahi kaha...humne sandesh deti rachna
"जोदी तोर डाक सुने केयूना आसे तोबे एकला चलो रे एकला चलो रे एकला चलो रे
बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!सादर...!शशि पुरवार
sundar bhavpoorn rachna...jal tarangon main bhi jivan ka sach chupa hai ki aaj ko jiyo aur kal ko piche chodte hui bas aage badho aur badhtey chalo...:)
सुन्दर चित्र के साथ....खूबसूरत रचना !!
jodi tor dak shune keu na ashe....tobe akla chalo re... wakai... very nice composition.
शान्त-शीतल जल का विक्षोभ,तरंगों का संगीत बन जाता है !
सकरात्मक भाव को दर्शाती हुई सार्थक रचना।.......
बहुत सुन्दर...
सुन्दर रचना
लाजवाब..!!
आगे बढ़ने का सार्थक सन्देश देती एक सुंदर रचना !
भाव प्रवण शब्द चित्रण हेतु अनेकानेक शुभकामनाएं ....
रविंद्रनाथ की यह गीत बहुतों के लिए प्रेरणा स्रोत है -आपने उसे अच्छा प्रोयोग किया latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
सुंदर बिंब लिए सुन्दर रचना।बधाई !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति :)
सुंदर सोच का परिणाम यह सुंदर कविता. शुभकामनाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति!
सुन्दर भावमय प्रस्तुति ...
nice creation
bhavpurn abhiwyakti hai...khubsurat chitr ke sath.....
lajawab-***
कोमल सी रचना
aklaa chalo re....behtareen kavita
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34 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
अथाह जल (बाधाओं) को पिछे छोड सकारात्मक दृष्टि का संकेत।
उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति .
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें .
बहुत सुन्दर, कोमल भाव गिन्दगी की नाव् भवसागर में यूँ ही गुनगुनाते चलती रहे बधाई एवं शुभ कामनाएं
बहुत ही सुन्दर कविता, चित्रसम।
भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति
Sachitra sunder bhav......
सुन्दर चित्र के साथ सुन्दर रचना..
:-)
लम्हे को शब्दों में बाँधने का प्रयास ... लाजवाब चित्र उर उसपे किल्हे बोल ...
खूबसूरत।
sahi kaha...humne sandesh deti rachna
"जोदी तोर डाक सुने केयू
ना आसे तोबे एकला चलो रे
एकला चलो रे
एकला चलो रे
बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
sundar bhavpoorn rachna...jal tarangon main bhi jivan ka sach chupa hai ki aaj ko jiyo aur kal ko piche chodte hui bas aage badho aur badhtey chalo...:)
सुन्दर चित्र के साथ....खूबसूरत रचना !!
jodi tor dak shune keu na ashe....tobe akla chalo re... wakai... very nice composition.
शान्त-शीतल जल का विक्षोभ,तरंगों का संगीत बन जाता है !
सकरात्मक भाव को दर्शाती हुई सार्थक रचना।.......
बहुत सुन्दर...
सुन्दर रचना
लाजवाब..!!
लाजवाब..!!
आगे बढ़ने का सार्थक सन्देश देती एक सुंदर रचना !
भाव प्रवण शब्द चित्रण हेतु अनेकानेक शुभकामनाएं ....
रविंद्रनाथ की यह गीत बहुतों के लिए प्रेरणा स्रोत है -आपने उसे अच्छा प्रोयोग किया
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
सुंदर बिंब लिए सुन्दर रचना।
बधाई !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति :)
सुंदर सोच का परिणाम यह सुंदर कविता. शुभकामनाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति!
सुन्दर भावमय प्रस्तुति ...
nice creation
bhavpurn abhiwyakti hai...khubsurat chitr ke sath.....
lajawab-***
कोमल सी रचना
aklaa chalo re....behtareen kavita
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