10 फरवरी को
विश्व पुस्तक मेला में लोकार्पित हुई मेरे सह सम्पादन मे साझा कविता संग्रह
"पगडंडियाँ" से मेरी एक रचना आप सबके लिए... J
पोस्टर !!
नाम सुनते ही, बस
बस आ जाते हैं फिल्मी
दृश्य
जेहन मे, है न !
पर सोचना, क्या है जुड़ा नहीं ये
जिंदगी के हर पड़ाव से
...
याद है मुझे
मिक्की-डोनाल्ड या
कार्टून के पोस्टर्स
जो होते थे काफी
हम नन्हें दिल को खुश
करने के लिए ...
मुझे याद है वो दिन भी
जब क्रिकेट करती थी पागल
हमें
और मेरा कमरा पटा होता
था
"कपिल
द जबाब नहीं " व
गावस्कर की बैटिंग
स्टाइल से ...
खेल मे बेशक नहीं थे
पारंगत
पर पोस्टर्स, थे न हर दीवाल पर ...
हंसी आती है उस याद पर
जब अमिताभ के पोस्टर्स
को देख कर
आईने मे बनती थी
"हेयर स्टाइल"
तभी तो कानो के ऊपर
लहराते थे लंबे बाल...
हाँ मैं भूल गया बताना
कालेज मे था, किसी इंस्टीट्यूट
का प्रचार का पोस्टर
बस तो हो गई थी जरूरी
वहाँ नामांकन पढ़ाई के
लिए
ऐसा असर देता था पोस्टर
....
वो बनने वाली थी माँ
किसी ने कहा, सुबह जो वो देखेगी
उसका असर होगा गर्भ पर
और फिर, थे चारो और पोस्टर्स पोस्टर्स
कृष्णा, राम,
लक्ष्मी बाई के भी ....
मोटे तंदुरुस्त खूबसूरत
बच्चो के भी
काश हुआ हो, उसका असर...
आप भी जब गुजरते होंगे
सड़कों पर
दिख जाता होगा
हर तरह का पोस्टर्स
कभी प्रॉडक्ट तो कभी
मॉडल
खींच लेता है अपनी ओर
किसी भी व्यवसाय को
बढ़ा देते हैं ये खूबसूरत
पोस्टर्स
तो फिर क्या कहते हैं
है न जिंदगी के हर लम्हे
से जुड़ा
पोस्टर्स, हर तरह का पोस्टर्स ....
जिंदगी के हर रूप को
रु-ब-रु कराते पोस्टर्स..............
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28 comments:
bahut khub kaha aapne poster ke sath judi hain yaaden
ज़िन्दगी में पोस्टर की आवश्यकता वाकई यह सोच लाजवाब है ...बुक में भी पढ़ी थी तब भी यही ख्याल आया था ..बेहतरीन सोच ,.:)
सच देखो तो जिंदगी भी तो एक पोस्टर ही है ... कुछ साँसें चिपका दी हैं ऊपर वाले ने जिसम के साथ ...
बिलकुल ठीक कहा आपने ज़िंदगी की हर खट्टी मीठी यादों से जुड़े होते हैं पोस्टर ... :)
जीवन से जुड़े से पोस्टर, एक अलग से विषय पर संजीदा प्रस्तुति
wah kya soch hai... bahut khoob da...
जिंदगी के हर लम्हें से जुड़ी कविता ...
पर अब तो सडकों पर पोस्टर लगाने के लिए सरकार ने मना कर दिया है ...लगे हुए पोस्टर सड़क किनारे से फाड़े जा रहें हैं ....:(
postar ka jindagi par gahn prabhav ko vyakt karti sundar rachna ..
सच में बहुत ही सुंदर लिखा....आपकी सोच वाकई बेहतरीन हैं मुकेश जी....लाजवाब.... :-)
poori zindagi ke posters jod len to ek rochak film hi ban jayegi.. bilkul anokhi soch hai Mukeshji..
बिलकुल अलग सी पर बहुत कुछ हकीकतों का बयाँ करती ....
हाँ जिंदगी की आवशयकता ही है पोस्टर शायद !
सुन्दर रचना मुकेश जी
बढ़िया
bahut sundar mukesh , jindagi ek postar hi hai , badhai
umda, jindgi ki deewar par kahi nahi dikhti koyee darar,har kisi ki zindgi se chipke hain hazaroo isthar
एक बेहतरीन प्रस्तुति ! बहुत खूब !
फटा पोस्टर ...निकला हीरो...
:-)
अच्छी रचना...
अनु
पोस्टर के साथ जुड़ी कितनी ही यादें आपने समेट लीं....
कविता के लिए मुद्दा क्या हो.... ये तो कोई आप से सीखे.... बहतरीन प्रस्तुति :)
कविता के लिए मुद्दा क्या हो.... ये तो कोई आप से सीखे.... बहतरीन प्रस्तुति :)
पोस्टर इतना भाया मन को कि ... इतनी सुन्दर रचना कर डाली ... बहुत खूब
पोस्टर का काम ही है लोगों का ध्यान आकृष्ट करना...हम भी तो अपने व्यक्तित्व-पहनावे से लोगों का ध्यान बटोरना चाहते हैं...शायद इसीलिए अमिताभ की नक़ल करने का प्रयास होता है...
बहुत सुन्दर
सचमुच पोस्टर जिन्दगी से गहरे जुडे होते हैं । किसी अनजान शहर में सडकों पर लगे पोस्टर ही तो सबसे बडे दिग्दर्शक होते हैं ।
वाकई,लाजबाब रचना.
प्रेरक पोस्टर प्रेरित करते हैं।
जिन्दगी का पोस्टर ..न जाने क्या क्या समाहित है.
जिंदगी ही पोस्टर या पोस्टर ही जिंदगी कहना मुश्किल हो गया है
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