एक महानगर से सटे
एक छोटे से गाँव में
थी चहल पहल
चमक रहा था
कैमरे की लैंस
न्यूजरूम के स्टीकर वाले
चौकुठे काले माइक्रोफोन पर
बोल रही थी
रोती कलपती
मनसुख की मैया -
हमरा एक ही बेटा रहा
ऊ भी जवान
हाँ पीता था दारू
बीडी की लत तो रहबे करी
पर था, हमरा जिगर का टुकड़ा
हमरे बुढ़ापे का लाठी रहा
अब कैसे जियेंगे
ई फ़ट्ट्ल साड़ी
औ सुख्खल रोटी
तो मिल जात रही
अब तक, ओकरा वजह से....
.
दूर पड़ी थी
सफ़ेद कपडे में ढकी लाश
पर मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज
मैं नहीं थी, मनसुख की मैया
या उसका इंटरव्यू ...
टी.आर.पी. कहाँ बनती है ..
भूखी बेसहारा माँ से
इसलिए टी.वी. स्क्रीन पर
चिल्ला रहे थे..
न्यूज रीडर...
लेंडक्रूजर के नीचे
सी.पी. के व्यस्त चौराहे पर
गया मेहनतकश नौजवान
और बार बार सिर्फ ...
दिख रहा था स्क्रीन पर
चमकता लेंड-क्रूजर
व उसका
निर्दयी पहिया...
46 comments:
सत्य घटना पर आधारित एक संवेदनशील रचना ...
बहुत सुन्दर रचना .सुन्दर सच अभिव्यक्त ब्यान हुआ है ....इस रचना में .........
अच्छा आलेख
मर्मस्पर्शी...बेचारे गरीब को देखता भी कौन
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
दिल को छू लेने वाली रचना....
सहज अभिव्यक्ति..
अनु
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 20/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
ek aur kadva sach iss duniya ka jo aap ne apni iss rachana mein share kiya ....with simple words ....nice
मर्मस्पर्शी
ये ही है ...टी.आर.पी. की सच्चाई .....
एक बेहद सच्ची और संवेदनशील रचना.टी आर पी ने तो तबाह कर रखा है.
मन की पीड़ा हर हाल मे बयाँ होती है
ओह्ह ,ये टी आर पी, इंसानियत को खा गई है .--
सच को भी दिखावे का आवरण चहिए
बहुत खूब ...और सच भी
मार्मिक घटना, संवेदनशील रचना।
संवेदन हीन होते समाज का क्रूर चेहरा ... जहाँ मौत भी टी.आर. पी, बढ़ाने का साधन है.....
हृदय स्पर्शी रचना!
मार्मिक ... :(
मार्मिक रचना...
यथार्थ चित्रण...
बहुत मार्मिक यही सच है इस देश का
भयावह तस्वीर है...हमारी संवेदनहीनता की...
संवेदनाएं और दुःख भी इनके लिए बिकने की चीज है .
मार्मिक चित्रण .
अच्छी रचना
बहुत सुंदर प्रस्तुति
क्या बात
बहुत प्रभावी संवेदनशील प्रस्तुति...
मन को छूती पोस्ट ... बेहद सशक्त लेखन
प्रभाव शाली अभिव्यक्ति .........
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
संवेदनशील अभिव्यक्ति!!
एक ऐसा तकलीफदेह सच , जिससे हम आये दिन रूबरू होते हैं....मर्मस्पर्शी!!!!
बेहद संवेदनशील !!
उघाड़ती ओछी हो चुकी मानवीयता ... सोचने को बाध्य करती अच्छी रचना ....
दुखद ....
घटनाएँ बन जाती है खबर,
या बना दी जाती है कविता
फ़िर लोगों तक पहुँचती है,
और कुछ ही दिनों में खो जाती है खबर...
लेकिन वो बात, जो होती है उस खबर का हिस्सा,
या बनती है जिस पर कविता
कई दिनों, बल्कि सालों तक करती है असर...
मार्मिक रचना है मुकेश जी टीआरपी जो न कराये।
ओह बहुत ही संवेदनशील,मार्मिक कविता
सार्थक पोस्ट एवं संवेदना से भरी मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
...संवेदनहीन होते हम !
हर जगह 'टी आर पी' ही तो देखी जाती है... वो जिसके ऊपर निर्भर... वही छाया 'टी वी' पर...
दुख होता है... ये सब देख सुन कर... :(
~सादर !!!
न्यूज रीडर...,टी.आर.पी. की सच्चाई की बखिया उधारती रचना .... !!
न्यूज रीडर...,टी.आर.पी. की सच्चाई की बखिया उधारती रचना .... !!
संवेदनहीनता बढती ही जा रही है, आजकल मौत तक को भुनाते है लोग अपने फायदे के लिए...सच्चाई बयां करती मार्मिक रचना...
सुंदर अभिव्यक्ति.....
मशीनों पर चलती उंगलियों से संवेदनाए भी शून्य हुई ...बहुत दुखद .. मन आद्र हो उठा !!
आपका भावुक मन पल में ही माँ की विचलित मनः स्थिति भांप गया और सिमट आई पीड़ा रचना बन ...यही दुआ कि शेष रहे अभी इंसानियत ..
Swati Bhalotia: ek bahut contemprory saa kataaksh likha hai mukesh jee.....aur bahut hi saarthak laga hamen....bhaav drishti se to hamaari tarah sabhi ko behad pasand aaya hai kintu hamen iski kavyaatmak pehlu bhi bahut mazboot laga...
2 hours ago · Unlike · 1
Shweta Agarwal: uff.....na jaane ye media insaanon ko insaan kab samjhna seekhegi.....khud kab dekhegi apni hi sharmnaak harkatein....jo mare hue ko bhi maar jaati hai.....bahut hi maarmik rachna hai Mukesh ji is baar aapki....aansu nikal gaye us maa ki kismat par....aur yahi dua hai ke piditon ko bhagwaan media se bachaye
34 minutes ago · Unlike · 1
Neeta Mehrotra: एक कड़वा सच .... जिन्दगी तार - तार हुई जाती है और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा ....
गजब सच का लयात्मक वर्णन किया है आपने .
3 minutes ago · Unlike · 1
Rumi Bagga: marm' sparshi ..
..
ik dukhas ghatna ka ..bhaavpurn varnan..
6 hours ago via mobile · Unlike · 1
how touching :(..sach mein jo khota hai bas vahi samaj sakta baaki uski manosthiti nhi bhaamp paate :(
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