दृश्य एक :-
बम और गोले की खेंप
पहुँच जाएगी समय पर
ढा दो दहशत
बिछा दो लाशें
बजा दो ईंट पर ईंट
फ़ाड़ दो सत्ताधारी सरकार के कान
फोन पर आ रही थी -
.... फुसफुसाहट भरी आवाज...!
दृश्य दो :-
भड़ाम!!
कुछ लाल मांस के चीथड़े
आसमान में उड़ते
हलकी सी ख़ामोशी
और फिर
खून, खून..
खून से लथपथ लाशें..
व कराहता शरीर
दहाड़ मारती आवाजें
और फिर नीरवता
आतंकवाद का खूनी चेहरा
डरावना........!! भयावह !
दृश्य तीन :-
हजारों की भीड़
साथियों !!
वक्त आ चुका है -
अब हम न झुकेंगे
कमर कस कर करेंगे
मुकाबला
चुन-चुन कर लेंगे बदला
इस निकम्मी सरकार को भगाओ
तालियाँ...
गड़गड़ाहट...!!!
क्या समझ में आया??
तीनो दृश्यों से दिख पाया??
आतंकवाद का राजनीतिक चेहरा !!
काश!! आतंकवाद के डोर से
नहीं जुड़ी होती राजनीति
तो कायम हो पाता
अमन और चैन...
सिर्फ चैन.............
54 comments:
आतंकवाद का खूनी चेहरा
डरावना........!! भयावह !
सही कहा आपने... मानव की हठधर्मी से व्याकुल मानवता...डरी..सहमी... पर इस समस्या पर जीत हासिल करनी है... जीतना ही होगा...यें केन प्रकारेण...
Vandana hamne aatankwad aur rraaajniti ke gathjor ko deekhane ki koshish ki thi...!!
thanx for comment..
आज आतंकवाद और राजनीति एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं..बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...
मुकेश... चाहें राजनीति हो या आतंकवाद..,मानवीय व्यवहार... हठधर्मी शब्द से अभिप्राय आप शायद समझे नहीं... शुभकामनाएं..:)
आतंकवाद और राजनीति समानार्थी शब्द लगते हैं अब तो.
बेहतरीन प्रस्तुति.
शिर्षक ऐसा भी हो सकता है ---
राजनीति का आतंकवादी चेहरा!!
मानव इतिहास का एक वीभत्स रूप, आतंकवाद।
सार्थकता लिए सटीक लेखन ...आभार ।
एक वीभत्स रूप, आतंकवाद..!
काश!! आतंकवाद के डोर से
नहीं जुड़ी होती राजनीति
तो कायम हो पाता
अमन और चैन...
सिर्फ चैन.............
काश इतनी सी बात ये सियासतदान समझ पाते …………मगर सब जगह राजनीति चलतीहै फिर चाहे वो लाशों पर ही क्यों ना करनी पडे।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Shastri sir.. bahut bahut dhanyawad!!
बहुत अच्छा लिखे हैं सर!
सादर
देश की राजनीति में कुछ नहीं बदलेगा....
अगर कुछ बदलना होता तो अब तक बदल चुका होता ...आतंकवाद अब पहले से भी ज्यादा हावी हो चुका हैं राजनीति में ....
सही और मानव की जिद्द की पराकाष्ठा का बखूबी प्रदर्शन किया है आपने।बधाई स्वीकारें और मेरे ब्लॉग पर भी अभिवादन स्वीकारें आभार.
सिन्हा जी बेहद ही खतरनाक माहौल हो गया है आज का, कही भी कोई सुरक्षित नहीं लगता है।
आतंकवाद के खौफ से सारी दुनिया ग्रसीत है...इसका नेस्त-नाबूद होना बहुत जरूरी है!
सही है आतंकवाद और राजनीति अब एक ही सिक्के के दो पहलू हो चुके हैं सार्थक एवं सटीक रचना...
सही लिखा आपने ...आज आतंकवाद और राजनीति एक दूसरे का पर्याय बन गए है ....काश तस्वीर का रूप बदल जाता
Aisi raajneeti to bahut hi gambheer
बेहद सार्थक और गंभीर लेखन....
शुक्रिया इस नायाब प्रस्तुति के लिए..
सादर.
आज की राजनीती में मानव कल्याण की सोच कम और आतंक बढ़ता ही जा रहा है...इस बात को बहुत सार्थक रूप में व्यक्त किया है आपने.....
बहुत ही बढ़िया रचना...
excellent
कटु सत्य को कहती अच्छी प्रस्तुति ... आतंकवाद को राजनीति ही पाल रही है ...
राजनीते का मुखौटा हटाती- सुन्दर रचना...
बारुद के ढेर , बुझा सकते है माना घरों के दीप, तो क्या, इक चिगारीं ही काफी है आतंकवाद की हस्ती मिटाने को..........
राजनीति भी हमसे है , और राजनेता भी हमी से है
ये और बात कि हम ही खामोश खामोश से बैठे है....
काश!! आतंकवाद के डोर से
नहीं जुड़ी होती राजनीति
तो कायम हो पाता
अमन और चैन...
सिर्फ चैन.............
wish like this situation .//
ये आतंकवाद बगैर राजनीतिक पनाह के पलता नहीं है, यही कारण है कि ये नेता और राजनीति में आतंकवादियों को सरकारी मेहमान बना कर उनको पाला जा रहा है. जिन्हें फाँसी दिया जन चाहिए उन्हें हम पाले हुए है किस लिए ? क्योंकि होने वाले धमाकों और उनमें मरने वाले लोगों में इन जिम्मेदार लोगों और राजनेताओं के परिवार का कोई नहीं होता है.
राजनीतिक आश्रय ही तो पनपने का मौका देता है इन्हें ...... कटु सत्य
बहुत सुन्दर मुकेशजी ....दुःख होता है इन लोगोंकी इन्सेंसिविटी देखकर .....कैसे कोई इन परिस्तिथियों को भुना सकता है ....सार्थक रचना !
सार्थक चिंतन...
हार्दिक बधाई...
कटु सत्य की अभिव्यक्ति ....विचारणीय और चिंतनीय
आंतंकवाद अब हमारी नसों में धुल चूका हैं ..और खून बनकर बह रहा हैं ...अब किसी को कुछ नया नहीं लगता ,कुछ खुर्स -पुसर होती हेई फिर सब शांत !
कटु सत्य की अभिव्यक्ति ....विचारणीय और चिंतनीय
बहुत बढ़िया मुकेश जी... आपकी श्रेष्ठ कविताओं में एक... कविता में भाव है.. आक्रोश है... सोच है...
मैं सहम जाती हूँ उन द्रश्यों को देखकर.... जिनमे कोई किसी का बेटा/बेटी ... कोई किसी का पति/पत्नी ... कोई किसी की माँ/पिता... भाई/बहन ....होता है...
दिल दहल जाता है.... काश की तीसरा द्रश्य सच हो जाये.... और हम सब एक हो जाएँ...
बहुत अच्छे विचार
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बर्गर नहीं ककड़ी खाइए साथ साथ ब्लॉग बुलेटिन पढ़ते जाइए
सही कहा आतंकवाद के पीछे राजनीतिक चाल भी होती है. सरकार, सत्ता, पक्ष-विपक्ष, नेता, सबकी महत्वाकांक्षायें और किसी तरह इन सबको काबू में करने के लिए कूटनीतिक चाल और फिर आतंकवाद का सहारा... बहुत सटीक व्याख्या किया है, शुभकामनाएँ.
Bahut sahi kaha.
काश!! आतंकवाद के डोर से
नहीं जुड़ी होती राजनीति
तो कायम हो पाता
अमन और चैन...
सिर्फ चैन.............काश!!!!!!!!!!!!!!
क्या समझ में आया??
तीनो दृश्यों से दिख पाया??
आतंकवाद का राजनीतिक चेहरा !!
काश!! आतंकवाद के डोर से
नहीं जुड़ी होती राजनीति
तो कायम हो पाता
अमन और चैन...
सिर्फ चैन.............
kya khoob chehra dikhaya hai kamal hai
rachana
Chanda Jaiswal: kaaashhhh ... is kaash ne hi tabaah kar diyaa hamaare desh kO5 April at 13:57 · UnlikeLike · 1
Rashmi Bhardwaj: बहुत अच्छी कविता ... वाकई आजकल राजनीति और आतंकवाद समानार्थी हो गए हैं5 April at 19:18 · UnlikeLike · 1
Shweta Agarwal: Sahi.Kaha Bilkul...Par Kaaaaasssshhh Ke Aisa Sach Mein Ho Pata....Aapki Soch Ko Salaam Mukesh ji....Bahut Gehri Baat Hai Aur Aapne Ek Kaash Mein Keh Dii......waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaahh....Bahut Khub.6 April at 17:36 · UnlikeLike · 1
Alok Mittal: ye to sab jante hai ki aatankwad kitna bhayanak hai...our unko rajniti ka kitna sahra hai....bhale hi aam janta mare.....bahut badhiya likha aapne Mukesh Kumar Sinha ji7 April at 18:58 · UnlikeLike · 1
Roli Bindal Lath: rajneeti me se neeti gayab hai abMonday at 10:31 · UnlikeLike · 1
बिल्कुल सच्ची तस्वीर खींच दी ....!!
बहुत सुंदर लिखा है मुकेश ...!!
this is an outstanding work. kudos yaar
आपकी यह बेहतरीन रचना शुकरवार यानी 28/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जाएगी…
इस संदर्भ में आप के सुझाव का स्वागत है।
सूचनार्थ,
आपकी यह बेहतरीन रचना शुकरवार यानी 28/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जाएगी…
इस संदर्भ में आप के सुझाव का स्वागत है।
सूचनार्थ,
अच्छी और सटीक रचना ........
aaj kal to rajneeti aur aatankvaad ka fark hi pata nahi chalata .... achhi prastuti ki hai aapne iss kavita ke jhariye
पूर्ण रूप से सही बैठती रचना कल के बम ब्लास्ट पर |
आशा
आज के परिपेक्ष्य को सही रूप में चित्रित करती रचना !
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...।बधाई स्वीकारें!
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति एवं उदगार हैं और इस बारे में की जाने वाली टिप्पणियां भी काफी सार्थक हैं लेकिन इस प्रकार की टीका-टिप्पणी करने से आतंकवाद मिट नहीं सकता है। हम मात्र एक दूसरे को ढ़ाढस बंधाते हैं लेकिन आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होने से सभी कतराते हैं... और उन लोगों में शायद मैं भी शामिल हूं।
Post a Comment