कागज में कलम घसीटी..
कि अनायास ही ..
कलम से मुड़ा तुड़ा सा
एक शब्द
उकेरित हो उठा...
अनायास ही वो याद !
चेहरे पे एक हलकी सी
ला गयी..सिहरन....
अनायास ही लगा
एक तरुणी......
जो सामने है बैठी..
और एक दम से
कह उठी......
कैसे हो????
अनायास ही उमड़
आई कुछ स्मृतियाँ..
नदियों के लहरों
के उद्वेग की तरह...
जो अनायास
की कह उठी..
"आखिर
भूल ही गए न..."
पर फिर भी
अनायास ही
चेहरे पे आ ही गयी
एक मुस्कराहट
जो धीरे से चेहरे से
गुजरती हुई
कानों में कह गयी...
जो होता है
अच्छा होता है !
और वही
शायद
मंजूरे खुदा होता है.....!!!!!!
58 comments:
very nice bahut hi accha likha hai aap ne
रोशनी गर खुदा को हो मंज़ूर आंधीयों में चिराग जला करते है .... बढ़िया प्रस्तुत
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को हम सब कि और से नवरात्र कि हार्दिक शुभकामनायें...
.http://mhare-anubhav.blogspot.com/
बहुत दिनों बाद आपकी कोई कविता आई है.. पढ़ कर अच्छा लगा.. नवरातों की हार्दिक शुभकामना...
कुछ यादे पुरानी सी ....आज फिर से जीवित हो गई
ये जो तस्वीर आपने लगाईं है
कह गई है बहुत कुछ
अनायास ही
और शब्दों का क्या है
सहारा देते हैं भावों को
अनायास ही :)
ये यादें ही तो है जो हममे हमको जिंदा रखे हुये है..अभिव्यक्ति की सुंदर प्रस्तुति....नवरात्रि की शुभकामनाएं।
पर फिर भी
अनायास ही
चेहरे पे आ ही गयी
एक मुस्कराहट
जो धीरे से चेहरे से
गुजरती हुई
कानों में कह गयी...
जो होता है
अच्छा होता है !
और वही
शायद
मंजूरे खुदा होता है.....!!!!!!
Hmmmm sach hai!
Navratri kee haardik shubh kamnayen!
हे भगवान ! ये अनायास ही तुमको क्या क्या अनुभव होने लगे?कौन थी वो? कविता लिखी है या एक चित्र खींच दिया है?मैं भी देख रही हूँ उसे ....दूर से जैसे तुमने देखा एकदम करीब.खूब देखा.
*thanx modesty!!
*Pallavi dhanywad
*arun jee aapko bhi navratri ki shubhkamna
*anju...yaden aisee hi hoti hai
*shikha.. bas anayas hi google ke serch ne ye photo de diya:)
ये यादें ही तो है जो हममे हमको जिंदा रखे हुये है..अभिव्यक्ति की सुंदर प्रस्तुति....नवरात्रि की शुभकामनाएं।
iske pehle mera cmt delete ho gaya tha kya mukesh ji...:)
अनायास के ये पल किस तरह चेहरे पर रंग बदलते हैं - कभी मुस्कान , कभी खोयी आँखें ---- जाने क्या क्या
अनायास ही लगा
एक तरुणी......
जो सामने है बैठी..
और एक दम से
कह उठी......
कैसे हो????
कुछ अनकही बाते अनायास ही होती हैं ...जिंदगी से एकदम जुदा उनका अंदाज होता हैं ...और वे दिल के बहुत करीब हो जाती हैं ....यादे बन मन पर छा जाती हैं ..बहुत ही भावात्मक तरीके से कहे हैं आपने अपने दिल के जज्बात ..उच्च कोटि की संवेदनाए हैं ....धन्यवाद इसमें शामिल करने के लिए ..
..... शानदार प्रस्तुति
बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है !
बहुत सुन्दर कविता
कुछ यादे पुरानी होए हुए भी पुरानी नहीं होती
इतनी सुन्दर रचना अनायास ही नहीं बनती. बेहतरीन ! आभार !!
हर बात में गुड होता है :)
मगर फिर भी पूछ लेते हैं कौन थी वह !
जो होता है
अच्छा होता है !
और वही
शायद
मंजूरे खुदा होता है.....!!!!!!
सुंदर भावों का सम्प्रेषण ....जीवन भी क्या है ...कभी सोचते हैं जो हुआ सही नहीं हुआ लेकिन फिर कहते हैं जो खुदा करता है सही करता है ....क्या सही है ....यह निर्णित नहीं है ...!
कुछ यादे पुरानी सी.. .फिर भी पुरानी नहीं होती...आज फिर से जीवित हो गई ,कुछ यादे पुरानी सी!!!
बहुत सुन्दर कविता !!!!!
जीवन को सकरात्मक बनाये रखने के लिए ये एक अच्छी पंक्ति है की जो होता है अच्छे के लिए ही होता है | तस्वीरे बड़ी अच्छी लगी |
कौन है वो मुकेश? ऐसा अनायास होना……किसी गंभीर बीमारी का लक्षण दिख रहा है………हा हा हा…………………वैसे भाव बहुत सुन्दर संजोये हैं ।
बेहतरीन प्रस्तुति ,
आपको व् आपके परिवार को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये
bhut badhiya
स्वीकारोक्ति.अनायास ही होती है .. :)
यथास्थिथि को सकारात्मक तरीके से अंगीकार करलेने ..और बहुत सादगी से अपनों में बाँट लेने की ...यही खूबी...तुम्हारी लेखनी को ख़ास बना देती है....
सुन्दर और लाजबाब ..
ये यादें अनायास ही क्यों आ जात हैं ....
नव रात्री की हार्दिक बधाई ...
सरल दर्शनयुत अभिव्यक्ति।
अनायास ही वो याद !
चेहरे पे एक हलकी सी
ला गयी..सिहरन....
और न जाने क्या-क्या याद आते चला गया....
आपकी कविता मन के कोने में दुबके कोमल व अव्यक्त यादों को, जो सुसुप्त सी थीं, उन्हे जागृत कर देती है। सुंदर प्रस्तुति।
:) सच है...जो होता है मंजूरे खुदा होता है...पुरानी यादों को यूँ याद करके क़ाग़ज़ पर क़लम से घसीटना नहीं नया रूप देना कहिए...
aap sabko bahut bahut dhanyawad!! mere shabdo ke bhaw me se khubsurati dhundhne ke liye:)
sundar rachna...behreen prstuti...
bahut badhiya... par ye sab ya aisa sab ANAYAAS hi kyon hota hai???
bahut badhiya likhi hai aapne... kitne anubhavon ko ikkathha kar diya... waah
bahut khoob bhaiya... aap bahut hi accha likhte hain....aabhar
@क्षमा धन्यवाद्!
@ इंदु दी तुम भी न, खूब खिंचाई करते हो:)
@सत्यम...नहीं यार, हम कमेन्ट के लिए जान देते है, डिलीट नहीं कर सकते..:)
@रश्मि दी शुक्रिया...:)
@दर्शन जी...बहुत बहुत शुक्रिया....दिल से:)
@धन्यवाद् संजय जी, शास्त्री सर !!
@दीपक, सुबीर जी...शुक्रिया
@वाणी दी.....कोई नहीं...:)
@केवल भाई, बहुत प्यारी बात कही आपने:)
@शुक्रिया नीलुम, अंशुमाला जी.....
@चिंता मत करो वंदना नहीं है ऐसी कोई गंभीर बीमारी:डी
रुई के फाहो जैसी रचना
एक छोटी सी हँसी भी बड़ा गुनाह बन जाता है, मेरी पोस्ट पर जानिए और फिर मुस्कराइए।
सरल शब्दों में…अच्छा…
मुकेश भाई, बधाई!बहुत दिनों बाद ही सही पर मखमली अहसासों को लिए.क्या समेटा है बीती बातों को और वो भी रोमांटिक अंदाज में.
कागज में कलम घसीटी..
कि अनायास ही ..
कलम से मुड़ा तुड़ा सा
एक शब्द
उकेरित हो उठा...
अनायास ही वो याद !
चेहरे पे एक हलकी सी
ला गयी..सिहरन....
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई.....
सुन्दर..!
क्या बात है, बहुत खूब!!
"उकेरित" - प्रयोग पसंद आया. :)
दिल को भिंगो गई यह रचना।
@धन्यवाद अमरेन्द्र जी, जैना
@ अंजना दी....अब क्या कहूँ तुमसे:)
@रेखा, दिगंबर सर, प्रवीण जी ...शुक्रिया
@ हाँ पूनम जी, बस यादें ऐसी ही होती है..
@देवेन्द्र सर...इतना गहरा कमेन्ट के लिए दिल से धन्यवाद्..
कल्पना से ... आदमी उड़ान भरना सिखाता है ...उत्तम/
"आखिर
भूल ही गए न......kya bhul pana such me itna aasan hai kya....?
or waise bhi jb bita hua pal yaad ban kr saath saath chalta hai to wo bas yaad hi nhi rahti....or fir yado ke sahare to insaan puri zindgi gur skta hai....जो होता है अच्छा होता है !और वही शायद मंजूरे खुदा होता है.....!!!!!!or aesa bhi kya khuda ko manjur hota hai....hamesha gum taqlife aanshu hi kyun manjur karte hai khuda......
anaayaas hee jo hota hai achey ke liye hota hai mukesh jee...jazbaaton se bhari behtraeeen prastuti....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
@ मीनाक्षी जी, आप वही समझिये:)
@ शुक्रिया सागर, पूजा..प्रियंका, पवन जी...अजित जी...चन्दन जी.
@ मेरे मखमली अहसासों को समझ पाने के लिए शुक्रिया राजीव जी.:)
@शुक्रिया पूनम
@समीर भैया, शब्द ठीक है न.........
मुकेश जी बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना संभव हुआ. अच्छी कविता है... भावों का सुन्दर सम्प्रेषण किया है आपने....
बहुत ख़ूबसूरत और बोलती हुई तस्वीरें है ! बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जिसके बारे में जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! शानदार प्रस्तुती! देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ!
@मनोज सर, बब्बन जी धन्यवाद्
@सुरेन्द्र जी, डॉ. शास्त्री ...उत्साह बढ़ने के लिए शुक्रिया!
@रामपति (मेरे भाव) जी....आप आयें, अच्छा लगा..
@बबली...शुक्रिया...
क्या खूब लिखा है आपने अनायास ही..
कुछ लोग और कुछ यादें यूँ अनायास ही आ जाते हैं ज़हन में..
Thank Prateek:)
bahut khoobsurat yaad, badhai Mukesh.
अनायास ही उमड़
आई कुछ स्मृतियाँ..
नदियों के लहरों
के उद्वेग की तरह...
जो अनायास
की कह उठी..
"आखिर
भूल ही गए न..."
bilkul aisa hi hota hai.....
bahut khubsoorat rachna....
aisa hi kuchh milta julta aap is link par paa sakte hain.....
thanx jenny di and devendra sharma jee:)
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!दी्पावली की शुभकामनाएं
कुछ बात तो है यार मेरे..
बड़े दिनी हुए तुझसे मुलाकात हुए ..
:)
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