जिंदगी की राहें

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Sunday, February 27, 2022

बारूद और प्रेम


जब हवाओं में
हो बारूद की गमक
उस समय सबसे जरूरी होती हैं
कि लिखी या पढ़ी जाएं
प्रेम कविताएँ।

ताकि 
बारूद के प्रयोग की आशंका
हो सके निर्मूल
प्रेमिल एहसासों से पगे
प्रेम पत्र बदल जाएं
संधियों के दस्तावेज़ में ।

प्रेम भी बेशक युद्ध ही है
पर इन गुलाबी युद्धों में
सेनापतियों पर बरसती हैं
गुलाबी पंखुड़ियां । 
ऐसे में बाणों को 
इश्क़ के इत्र से डुबो कर
छोड़ी जाती हैं बिन कहे,
गर लगे तो प्रेम सफल।

और न हुए सफल तो भी
मुस्कुराहटों के बादल ही संघनित होंगे।
...है न!

~मुकेश~



7 comments:

Sweta sinha said...

सुंदर कविता।
सादर।

Sudha Devrani said...

काश कि ऐसा हो
बहुत सुन्दर रचना।

रेणु said...

प्रेम का युद्ध और प्रेम के लिए अहिंसक युद्ध सत्तालोलुप लोगों के भीषण हिंसक युद्ध से कहीं बेहतर है।भावपूर्ण रचना मुकेश जी।हार्दिक शुभकामनाएं।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बहुत अर्पूथर्ण रचना। बधाई मुकेश।

Onkar said...

सुन्दर सृजन

Dharmendra Verma said...

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Jyoti khare said...

प्रेम की अच्छी और सुंदर कविता