चला जाऊंगा
किसी खास दिन बिन कहे
नहीं रखूंगा सिराहने पर
कोई भी चिट्ठी
जो बता पाए वजह कि गए क्यों?
शायद उस खास दिन के बाद
आया करूँगा याद
हमेशा के लिए...
क्योंकि
जानेवाले
स्मृतियों में
बना देते हैं एक लाक्षा गृह
जिसमें आग नहीं लगाई जाती
बल्कि स्नेह के मरहम की ठंडक में
जा चुका व्यक्ति
बना लेता है बसेरा
...... हमेशा के लिए।
No comments:
Post a Comment