ओन ऑफ करते
पिट पिट की आवाज के साथ स्विच
रिमोट से भर भर करते हुए
स्वैप करते टीवी चैनल्स
नल के पानी के नीचे
काटते या रोकते जलधारा
दूर बैठ कर रिमोट से ही
कार के दरवाजे की बीप बीप सुनते
गुलाब के फूल की पंखुरियां
एक उसके नाम एक मेरे
छोटे छोटे कंकडो से
टिप टिप निशाना बांधते खनक के साथ
मोबाईल के अक्षर
बिना सोच के डाल देते स्टेटस पर
शायद बचपना है
या उँगलियाँ भी जता रही
प्यार भरी बेचैनियाँ !!
आखिर हाथ की नसें सुनती है
प्यारे दिल की बात !!
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ऐवें ठिठोली :-)
7 comments:
क्या प्रस्तुति है वाह! आपका जवाब नहीं सर!
सुंदर
सुंदर
बहुत बढ़िया
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
achhi abhiwyakti...
एक सूंदर पेशकश । दिली दाद इस कृति पर ।
अवलोकन हेतु आइयेगा...
तेरी जुल्फों से नज़र मुझसे हटाई न गई,
नम आँखों से पलक मुझसे गिराई न गई |
contd....
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