जिंदगी की राहें

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Saturday, May 2, 2015

प्यारी ठिठोली


ओन ऑफ करते
पिट पिट की आवाज के साथ स्विच

रिमोट से भर भर करते हुए
स्वैप करते टीवी चैनल्स

नल के पानी के नीचे
काटते या रोकते जलधारा

दूर बैठ कर रिमोट से ही
कार के दरवाजे की बीप बीप सुनते

गुलाब के फूल की पंखुरियां
एक उसके नाम एक मेरे

छोटे छोटे कंकडो से
टिप टिप निशाना बांधते खनक के साथ

मोबाईल के अक्षर
बिना सोच के डाल देते स्टेटस पर

शायद बचपना है
या उँगलियाँ भी जता रही
प्यार भरी बेचैनियाँ !!

आखिर हाथ की नसें सुनती है
प्यारे दिल की बात !!
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ऐवें ठिठोली :-)


7 comments:

संजय भास्‍कर said...

क्या प्रस्तुति है वाह! आपका जवाब नहीं सर!

Daisy jaiswal said...

सुंदर

Daisy jaiswal said...

सुंदर

Onkar said...

बहुत बढ़िया

JEEWANTIPS said...

सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

Unknown said...

achhi abhiwyakti...

Harash Mahajan said...

एक सूंदर पेशकश । दिली दाद इस कृति पर ।

अवलोकन हेतु आइयेगा...

तेरी जुल्फों से नज़र मुझसे हटाई न गई,
नम आँखों से पलक मुझसे गिराई न गई |

contd....