जिंदगी की राहें

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Thursday, May 15, 2014

जंतर-मंतर


पार्लियामेंट स्ट्रीट तिराहा 
जंतर मंतर के सामने 
15-20 अभिजात स्त्रियॉं का समूह 
एंटी-एजिंग क्रीम.. लिपिस्टिक से पुता चेहरा 
ओवरवेट.. मांसल जिस्म के साथ 
दे रही थीं बारी बारी से भाषण
कुछ ने चुना गरीबी, तो 
कुछ ने बघारा ज्ञान अशिक्षा पर 
कुछ कह रही थी, कैसे दूर होगा कुपोषण!! 

धड़ाधड़ क्लिक हो रहे थे फ़ोटोज़
दबी जबान में चल रही थी चर्चा
फेसबुक पर डाले जाने वाले अपदेट्स की !
काश इन चूकी सुंदरियों के ज्ञान से
एक भी गरीब कुपोषित बच्चे को
मिल पाता निवाला, बरस पाता ज्ञान
सिद्ध तो हो पाती सार्थकता
इस चिल्ल-पों की
इस एनजीओ के बैठक की..
कोई नहीं, सबसिडी के पैसों से
खरीदी जा चुकी थी
चिप्स और 'बिसलरी'
फिर धरणा स्थल के गहमागहमी की भी
तो थी कीमत !!

चलो कोई नहीं फैशनेबल.. ढल चुकी महिलाएं
हो सकता है कल करें दौरा
कुछ गांवो और कस्बों का
आखिर सिर्फ स्पीच देती तस्वीर में
गरीबी और कुपोषण का रंग भरने के लिए
चाहिए न कुछ बच्चों के भी छाया चित्र
आखिर पाँच कलपते भूखे बच्चों के साथ
सूखती लिपिस्टिक वाली महिला..
किसका न कलेजा कट कर गिर जाये !!

इन दयालू चिप्स खाती..
बिसलरी गटकती स्त्रियॉं के लिए
कुपोषित बच्चों के ओर से
एक मोमबत्ती इंडिया गेट पर
जलना तो जरूर चाहिए
इनके चमकते लिपिस्टिक की कसम
जो दूसरे दिन होंगी
सोशल मीडिया और पेज थ्री की खबर
'महिलाओं ने किया धरना
दिया भाषण
वजह थी, गरीबी, अशिक्षा और कुपोषण !!'
जय हो !!
______________________
वाह रे दोहन, शोषण कुपोषण !!



8 comments:

मधु सक्सेना said...

आजकल सरकारी अनुदान लेकर ngo की परम्परा चल पड़ी है सिर्फ नाम की ये संस्थाये खुद की जेबें भरती हैं बेनर लगा कर फोटो खिचवा कर नकली काम किये जाते है ।सही खुलासा किया आपने .....बधाई मुकेशजी ...

मधु सक्सेना said...

आजकल सरकारी अनुदान लेकर ngo की परम्परा चल पड़ी है सिर्फ नाम की ये संस्थाये खुद की जेबें भरती हैं बेनर लगा कर फोटो खिचवा कर नकली काम किये जाते है ।सही खुलासा किया आपने .....बधाई मुकेशजी ...

मन के - मनके said...

यही विडंबह है,आज के सो काल्ड सभ्य-समाज की.
जब भूख मिट जाती है---तभी समाजसेवा याद आती है,वह भी सो काल्ड टेकनो-सेवा.

Unknown said...

aajkal ke NGOs :D
bahut khoobsuart rachna Mukesh ji ..

वाणी गीत said...

समाज सेवा सिर्फ बातों , धरनों प्रदर्शनों अथवा मोमबत्तियां जलाने से नहीं अपितु वंचितों के लिए ठोस कार्य करने से होती है !
कविता उच्च वर्ग की दिखावटी समाजसेवा पर करारा तंज करती है !

Anju (Anu) Chaudhary said...

एक ओर ढकोंसला.....एक ओर दिखावा

कविता रावत said...

मैं समझती हूँ कि इस तरह का सब दिखावा असल में अपनी खुद की गरीबी, अशिक्षा और कुपोषण दूर करने के लिए किये जाते हैं
सार्थक प्रस्तुति

सदा said...

...... सार्थक प्रस्तुति