बेहद अजीब हो गए हैं हम
कुछ गमलों में चमकते फूलों की
रंगीन पंखुड़ियों को देख कर समझते हैं
कि हमारा पर्यावरण
सिर्फ और सिर्फ शुद्धता बरसा रहा है
बहने लगा है अब शुद्ध ऑक्सीजन !
कुछ गमलों में चमकते फूलों की
रंगीन पंखुड़ियों को देख कर समझते हैं
कि हमारा पर्यावरण
सिर्फ और सिर्फ शुद्धता बरसा रहा है
बहने लगा है अब शुद्ध ऑक्सीजन !
आफिस गार्ड की कड़क यूनिफार्म से
अंदाजा आर्थिक अवस्था का लगाते हैं
पर, हमें जरा भी गुमान तक नहीं होता
कि उसका बेटा निकाल दिया गया स्कूल से
फीस नहीं दिये जाने के वजह से !
आखिर गार्ड का दिया हुआ सेल्यूट ही तो
है आर्थिक सबलता !!
अंदाजा आर्थिक अवस्था का लगाते हैं
पर, हमें जरा भी गुमान तक नहीं होता
कि उसका बेटा निकाल दिया गया स्कूल से
फीस नहीं दिये जाने के वजह से !
आखिर गार्ड का दिया हुआ सेल्यूट ही तो
है आर्थिक सबलता !!
फेसबूक पर चंद मुस्कुराते फोटोज पर
लाइक बटन दबा कर, कह उठते हैं
'कितना खुशहाल और सम्पन्न परिवार है आपका'
फेसबूक पर चहक रही स्त्रियाँ..
कितना प्रयास करती है
पति के थप्पड़ से आंखो के नीचे बने नीले निशान
छुपा ही ले जाती है..
हमे कहाँ दिखते हैं भला..
लाइक बटन दबा कर, कह उठते हैं
'कितना खुशहाल और सम्पन्न परिवार है आपका'
फेसबूक पर चहक रही स्त्रियाँ..
कितना प्रयास करती है
पति के थप्पड़ से आंखो के नीचे बने नीले निशान
छुपा ही ले जाती है..
हमे कहाँ दिखते हैं भला..
200 ग्राम सेब.. साथ में चिप्स / बिसलरी
खरीद कर, कह उठते हैं
'महंगाई बढ़ गई है,'
समझने लगते हैं स्वयं को अर्थशास्त्री,
अर्थ व्यवस्था पर बौद्धिकता छांटते हैं
पर नहीं दिखती उस दुकानदार की
ढीली होती जाती पैंट, भूख के वजह से .....
खरीद कर, कह उठते हैं
'महंगाई बढ़ गई है,'
समझने लगते हैं स्वयं को अर्थशास्त्री,
अर्थ व्यवस्था पर बौद्धिकता छांटते हैं
पर नहीं दिखती उस दुकानदार की
ढीली होती जाती पैंट, भूख के वजह से .....
बहुत जोड़ तोड़ कर स्पाइसजेट का
सुपर इकोनोमी टिकट हासिल करते हैं
और फिर, अगले छह साल तक
हवाओं मे उड़ते हुए बादलों की ओंट से
खुद को हिलता महसूस करते हैं
आखिर ऊपर से बादल देखना भी है न सुखकर
सुपर इकोनोमी टिकट हासिल करते हैं
और फिर, अगले छह साल तक
हवाओं मे उड़ते हुए बादलों की ओंट से
खुद को हिलता महसूस करते हैं
आखिर ऊपर से बादल देखना भी है न सुखकर
चलो
कुछ कल्पनाशीलता.. बेवजह ही..
मन में ही चित्र खींच कर
जिंदगी के पन्नो पर अतिरेक रंग
भरने का नाटक तो करते हैं हम !
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !!
__________________________
आखिर जिंदगी जरूरी है, चाहे जैसे भी
कुछ कल्पनाशीलता.. बेवजह ही..
मन में ही चित्र खींच कर
जिंदगी के पन्नो पर अतिरेक रंग
भरने का नाटक तो करते हैं हम !
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !!
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आखिर जिंदगी जरूरी है, चाहे जैसे भी
24 comments:
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !!
सच .......बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !!
सच .......बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!
Very beautiful...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (24-05-2014) को "सुरभित सुमन खिलाते हैं" (चर्चा मंच-1622) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन डबल ट्रबल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
चलो कोई नहीं
कुछ कल्पनाशीलता.. बेवजह ही..
मन में ही चित्र खींच कर
जिंदगी के पन्नो पर अतिरेक रंग
भरने का नाटक तो करते हैं हम !
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !sundar
यथार्थ भाव लिए है रचना .....
हर हाल में जीना तो पड़ेगा ही , तो क्यों न मुस्कुरा कर जिएँ ?
यथार्थ का आईना दिखाती रचना !
~सादर
Sundar , Sahaj Dil se likhi rachana ke liye Sadhuvad
सादर आमंत्रित है
www.whoistarun.blogspot.in
bahut achhi rachnaa........ fb pe comment nahi kr pati coz public post hoti h :P
likhtey rahiye... :) :)
bahut achhi rachnaa........ fb pe comment nahi kr pati coz public post hoti h :P
likhtey rahiye... :) :)
सकारात्मकता जरुरी है जीवन के लिए , कि जिया जा सके !
अच्छी कविता !
आखिर जीना भी तो जरूरी है। सही व्यंग।
वाह मुकेश जी , बहुत अच्छे ..एकदम सटीक
बहुत खूब भाई , मंगलकामनाएं !
बहुत अच्छी कविता...देख रही हूँ , इन दिनों कुछ ख़ास कवितायें लिखीं जा रही हैं.....
:-)
अनु
वास्तविकता के साथ सुन्दर प्रस्तुति। आभार
Beautiful !
जिंदगी के पन्नो पर अतिरेक रंग
भरने का नाटक तो करते हैं हम !
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है .......बहुत अच्छी कविता
बहुत ही सहीए स्थिति दर्शायी गयी है। यथार्थ का सटीक चित्रण। आज भी किसी के पास समय है इन रूपों भावों को देख पाने का...
बहुत ही सहीए स्थिति दर्शायी गयी है। यथार्थ का सटीक चित्रण। आज भी किसी के पास समय है इन रूपों भावों को देख पाने का...
जिंदगी के पन्नो पर अतिरेक रंग
भरने का नाटक तो करते हैं हम !
आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है !!...कितनी सहजता से ज़िंदगी का सच कह डाला. एक सुंदर रचना !
हर हाल में जीना तो पड़ेगा ही , तो क्यों न मुस्कुरा कर जिएँ...
सकारात्मकता से भरी अच्छी कविता
बहुत सुंदर आखिर जिंदगी जीना भी तो जरूरी है
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