जिंदगी की राहें

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Wednesday, March 26, 2014

वक़्त




तुम्हारा गुस्से से कहना कि
“कभी वक़्त है तुम्हारे पास,
सिर्फ मेरे लिए !”
तुम्हारा
अपने लिए समय का मांगना
मेरे अंदर की
जलती प्रेम की मोमबत्ती से
तुम्हारे प्यार के हलचल से
डबक कर मोम के गिरने सा
देता है अनुभव

आखिर ये अतिरेक प्रेम ही तो कहता है
“हर दम चाहिए साथ"
काश! तुम ताजिंदगी
ऐसे ही मेरे साथ की
रखो चाहत !
वैसे भी, प्रेम के सिक्के के
दूसरी ओर ऐसे ही होता है
गुस्सा व क्षोभ
पर सिक्का उछलने पर
जीत की संभाविता
प्रेम का ही है !
विशुद्ध प्रेम !!
“लव यू”
(चमकती स्मृति और प्रेम पुराना थोड़ी होता है)
~मुकेश~


12 comments:

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम को समर्पित भाव ... सुन्दर रचना ...

Unknown said...

pyar to pyar hai...isme kuch bhi atirek kahan..jod-ghatav,guna-bhag ke bad bachta hai to sirf....pyar

Unknown said...

बहुत बढियां जज़्बातों का उल्लेख
''“हर दम चाहिए साथ”
बिलकुल गाड़ी एक पहिए से नहीं चलती कभी

एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ''

कालीपद "प्रसाद" said...

यह भी प्रेम की एक अभिव्यक्ति !
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !

Unknown said...

so lovely feelings ...God bless you Mukesh ji :)

nayee dunia said...

sundar ..:))

रंजू भाटिया said...

वाह बहुत सुन्दर बेहतरीन

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेम से सराबोर शब्दों की रचना।

Anju said...

प्यार की अहमियत व प्यार से लबालब सुन्दर भाव...:)

rashmi said...

meri maa..........pyari maa..........

Preeti 'Agyaat' said...

प्यारी सी कविता, पत्नी जी भाग्यवान हैं :) जोड़ी सलामत रहे !

आभा खरे said...

प्यारी कोमल सी अभिव्यक्ति ...